18 अक्टूबर को नई दिल्ली में उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू पद्मश्री अशोक भगत को सम्मानित करेंगे
झारखंड के आदिवासियों के बीच काम करने को वेश ही नहीं नाम तक बदल डाला जिले के किशुनदासपुर निवासी अशोक राय ने
आजमगढ़: जिले के किशुनदासपुर निवासी और झारखंड के आदिवासियों को बदहाली से उबारने के लिए जीवन समर्पित कर देने वाले पद्मश्री अशोक भगत के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने वाली है। झारखंड के गुमला जिले के विशुनपुर में विकास भारती संस्था से जुड़े कार्यों के लिए केंद्र सरकार ने एक और पुरस्कार देने की घोषणा की है। 18 अक्टूबर को नई दिल्ली में उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू पद्मश्री अशोक भगत को एक लाख रुपये नकद व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित करेंगे।
श्री भगत के चचेरे भाई व भाजपा नेता सुनील राय ने बताया कि लोकसेवा के क्षेत्र में विकास भारती को मिलने वाला यह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार विकास भारती विशुनपुर गुमला द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों, समाज के सशक्तीकरण और सुनहरे भविष्य की दिशा में सर्वश्रेष्ठ पहल के लिए दिया जाएगा।
महात्मा गांधी ने गरीबों की दुर्दशा देख सादगी धारण कर ली थी। ठीक उसी प्रकार झारखंड के आदिवासियों को बदहाली से उबारने के लिए जीवन समर्पित करने वाले पद्मश्री अशोक भगत उदाहरण हैं। उन्होंने लगभग 33 वर्ष पहले प्रण लिया था कि जब तक आदिवासियों के तन पर कपड़ा नहीं होगा, जब तक उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार उपलब्ध नहीं होगा, जब तक वनवासी समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ जाएंगे, वे वस्त्र नहीं पहनेंगे। सिर्फ धोती और गमछा धारण करेंगे
जनजातीय समाज के समेकित विकास के लिए प्रतिबद्ध श्री भगत ने आदिवासियों के बीच काम करने के लिए वेश ही नहीं नाम तक बदल डाला। किशुनदासपुर निवासी अशोक राय जब आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारियों की प्रेरणा से झारखंड के गुमला जिले के बिशुनपुर (उस समय के बिहार) में अपने तीन आइआइटीयन साथी डा. महेश शर्मा, रजनीश अरोड़ा और स्व. राकेश पोपली के साथ काम करने आए तो कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि जतरा ताना भगत की इस धरती पर यदि काम करना है तो उन्हीं के अनुसार रहना और जीना पड़ेगा। उन्होंने 1983 में अपना नाम बदल कर अशोक राय से अशोक भगत रख लिया, जो आज बाबा के रूप में प्रसिद्ध हो चुके हैं।
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