अच्छी फिल्मों से विचारों में स्पंदन होता है और हम अपने भीतर एक बदलाव महसूस करते हैं- जिलाधिकारी एन पी सिंह
आजमगढ़ : सोमवार को आजमगढ़ अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव के अंतिम दिन जिलाधिकारी एन पी सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। युवाओं से बात करते हुए उन्होंने समारोह में दिखाई जा रही दलित एवं आदिवासी केंद्रित सिनेमा की प्रशंसा की । श्री सिंह ने कहा कि इस तरह के सिनेमा की ज़रूरत समाज को बहुत ज़्यादा है । उन्होंने कहा कि शहर भले ही इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं पर आदिवासी अभी भी पाषाण युग में जी रहे हैं । युवाओं को ऐसी फ़िल्मों के महत्व के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह का सिनेमा लोगों को सामूहिकता में एकजुट होकर जीने की कला सीखने एवं संवेदनशील बनने के लिए प्रेरित करता है। युवाओं ने श्री एन पी सिंह से प्रशासन से जुड़े सवाल भी पूछे और उन्होंने बड़ी ही सरलता से उत्तर भी दिया।ये भी कहा कि अच्छी फिल्मों से विचारों में स्पंदन होता है और हम अपने भीतर एक बदलाव महसूस करते हैं । एक छात्र द्वारा परंपरा से जुड़े सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता में समन्वय होना चाहिए। "जिलाधिकारी जी से एक बच्चे के सवाल करने पर कि आज़मगढ़ के लोगों की रुचि कम दिखी तो जिलाधिकारी जी ने कहा कि कला तपस्या है और हर व्यक्ति तपस्वी नहीं हो सकता ।" ममता पंडित एवं अभिषेक पंडित के कार्यों की उन्होंने जमकर तारीफ की । आज पहले सत्र में फ़िल्म एवं कला समीक्षक अजित राय ने विश्व सिनेमा पर बातचीत की और युवाओं को पूरे विश्व के सिनेमा से परिचित करवाया। यह सत्र युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा । आज हरिजीत सिंह निर्देशित पवन मल्होत्रा अभिनीत चर्चित पंजाबी फिल्म "एह जन्म तुम्हारे लेखे और छत्तीसगढ़ी फ़िल्म" धुमकूड़िया" भी दिखाई गई । प्रदेश भर से आए युवा साथियों को सूत्रधार के संयोजक अभिषेक पंडित जी ने प्रमाण पत्र दिया। आयोजन के आखिरी दिन के अंतिम सत्र में धुमकूड़िया फ़िल्म के निर्देशक नंदलाल नायक और निर्माता सुमित अग्रवाल जी के साथ संवाद हुआ। समारोह के संयोजक अजीत राय जी ने समापन भाषण में सभी आगंतुकों, जिला प्रशासन, आज़मगढ़ निवासियों को इस आयोजन को सफलता पूर्वक संपन्न कराने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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