गांव के बड़े बुजुर्ग की प्रेरणा से गांव की वर्तमान पीढ़ी सीख लेगी - प्रो0 त्रिवेणी सिंह,एसपी आजमगढ़
आजमगढ़ : छोटे-छोटे विवादों को लेकर आए दिन गांव व मोहल्लों में मारपीट होती रहती हैं। इससे रंजिश इस कदर बढ़ जाती है कि हत्या, बलवा तक की घटनाएं घटित हो जाती हैं। कुछ ऐसे भी गांव हैं जहां के वयोवृद्ध स्वयं मिल-बैठकर छोटे विवादों का हल निकाल लेते हैं और मामला पुलिस तक नहीं पहुंच पाता। ग्रामीण स्तर पर विवादों को रोकने के लिए एसपी ने नई पहल करते हुए ऐसे गांवों को चिह्नित कराने का आदेश दिया है, जहां कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। ऐसे गांवों के बड़े-बुजुर्गों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही इसकी मूल वजह भी तलाश की जाएगी, ताकि अन्य गांवों के लिए नजीर में पेश किया जाए। पुलिस अधीक्षक का मानना है कि पचास लाख की आबादी को नियंत्रित करने के लिए 22 थाना व चार कोतवाली हैं, जबकि आठ तहसील क्षेत्र में 4461 राजस्व ग्राम हैं। अधिकतर विवाद भूमि को लेकर ही सामने आते हैं। हालांकि इससे इतर भी घटनाएं होती हैं। जैसे कभी धर्म तो कभी जाति के नाम पर। पूर्व में अगर कोई छोटा-मोटा विवाद होता था तो उसे गांव के बड़े-बुजुर्ग मिल-बैठकर ही आपस में सुलझा लेते थे, थाने तक विवाद पहुंचता ही नहीं था। अब इस तरह का सिलसिला बंद हो रहा है। ऐसे में अगर गांव के बड़े-बुजुर्ग विवादों को गांव में ही समाप्त कराने में आगे आते हैं तो उनका सम्मान होना चाहिए। 'प्रो. त्रिवेणी सिंह, पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़ ने मीडिया को बताया की बड़े-बुजुर्ग के संस्कार व लोगों के बीच वैमनष्यता दूर करने और आपसी सौहार्द को बढ़ाने के इरादे से ऐसे गांवों को चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है, जहां आजादी के बाद से कोई विवाद न हुआ हो और उस गांव का कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। अगर जिस गांव में चालीस-पचास साल से भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है, वहां के पांच बड़े-बुजुर्ग को सम्मानित करने का फैसला लिया गया है, ताकि गांव के बड़े बुजुर्ग की प्रेरणा से गांव के वर्तमान पीढ़ी सीख ले।
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