आज़मगढ़: मुहर्रम माह के छठवें दिन सठियांव ब्लॉक के कस्बा सराय गांव में हादी हसन साहब के दरवाजे पर अंजुमने हैदरी की तरफ़ से अँगारे और जंजीर का मातम किया गया । मजलिस की इब्तेदा सोजखानी से हुई जिसको कमर अब्बास और उनके हमनवा ने पेश किया। मरसिया ख्वानी सदर जनाब मुसी रज़ा साहब और अज़ीज़ हैदर,शाहनवाज, कमर अब्बास ने पेश किया । मजलिस को मौलाना हसन असगर (शबीब) ने खिताब करते हुए करबला के शहीदों का जिक्र किया। मुहर्रम उस वक्त के आतंकवादी यजीद के खेलाफ ऐसी जंग हुई जिससे आज इस्लाम जिंदा हैं । मुसलमान कभी भी हिंसा वादी नही रहा । जंगे करबला से पहले अहले रसूल ने कहा हमको हिन्द जाने दो हम जंग नही चाहते । शायद इसीलिए दुनिया में सबसे ज्यादा अजादार हिन्दुस्तान में हैं । जिक्र में मौलाना ने मौला अली अकबर का मसायब पढ़ते हुए कहाकि जिस तरह अली अकबर ने मैदाने करबला में भूख प्यास में जंग लड़ी और सीने पें बरछी का फल खा के आवाज दी थी अबता हो अदारिकनि हुसैन ठोकरे खाते हुये बेटे अली अकबर के पास पहुचे और बरछी का फल निकालते ही अली अकबर ने दुनिया छोड़ दी । मसायब सुन कर लोगों की आँखों से अश्क गिरने लगे। मजलिस में मुसी रज़ा,सफीक हैदर,मो.नसीम, बस्सन,परवेज,नेयाज,रिजवान,सरफराज,मंजर हुसैन,शाहनवाज, मुसबीर,रहबर,अकरम सहित अन्य लोग शामिल रहे ।
Blogger Comment
Facebook Comment