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आजमगढ़ : तमसा किनारे 70 मीटर के मकानों का ध्वस्तीकरण रोकने को राष्ट्रपति को भेजा पत्र

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने तमसा किनारे 70 मीटर के दायरे में बने मकानों को चिह्नित कर ध्वस्तीकरण का निर्देश दिया है

आजमगढ़ : एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) द्वारा तमसा किनारे 70 मीटर के दायरे में बने मकानों को चिह्नित कर उन्हें ध्वस्तीकरण का निर्देश दिया गया है। इस निर्देश से एनजीटी के दायरे में आए मकानों के मालिकों में आक्रोश व्याप्त है। ध्वस्तीकरण के निर्देश को निरस्त करने की मांग को लेकर पीड़ितों ने सोमवार को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व राज्यपाल आदि को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
नगरवासियों का कहना है कि नगर के विभिन्न मोहल्लों में लोग अपने निजी व पैतृक घर में निवास करते हैं। तमसा नदी से 70 मीटर की जद में वर्षों से मकान बनाकर बहुतायत लोग जीवन-यापन कर रहे हैं। मकान का नक्शा भी पास है लेकिन पिछले दिनों एनजीटी द्वारा सर्वे कराकर सैकड़ों मकान, दुकान व व्यवसायिक प्रतिष्ठान चिह्नित कर उसे ग्रीन जोन लैंड एरिया बताकर भवनों को ध्वस्त कर तमसा के सुंदरीकरण की बात कही जा रही है। इससे लोगों में भय का माहौल है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) अधिनियम वर्ष 2010 में लागू हुआ लेकिन यहां लगभग 50 वर्षों से लोग घर बनाकर रह रहे हैं। एनजीटी द्वारा चिह्नित किए गए मकान किसी भी स्थिति में पर्यावरण, वन तथा प्राकृतिक संसाधनों को कोई क्षति नहीं पहुंचा रहे हैं। जो भी आवास बने हैं वह महायोजना 2031 के प्रारूप के अनुरूप पहले से हैं। नगरवासियों ने डीएम से मिलकर समस्याओं के समाधान की मांग की। इस दौरान जिलाधिकारी ने नगरवासियों को आश्वासन दिया कि इस संबंध में आवास सचिव को पत्र लिखा है। एनजीटी से वार्ता के लिए शासन से बात की जाएगी। जहां तक होगा निर्माण को ध्वस्तीकरण से बचाने का प्रयास किया जाएगा। जो मकान पहले से बन गए है वह तो ठीक है लेकिन दायरे में नए मकान नहीं बनेंगे।
इस मौके पर शहजादे, डा. ताहिर, लियाकत, अबुसालेह, साजिद आजमी, बदरे आलम, रुखसार, फहीम अहमद, महेंद्र मौर्य, लालचंद, बेचू आदि मौजूद थे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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