आईआईटी कानपुर के 52 वें दीक्षांत समारोह में मिला रंजन कुमार मेमोरियल अवार्ड
सर्वश्रेष्ठ सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजना हेतु किया गया सम्मानित
आजमगढ़। जो जर्रा यहां से उठता है, वो नैय्यरे आजम होता है..... प्रख्यात शायर इकबाल सुहैल की उक्त पंक्तियां समय-समय पर आजमगढ़ियों के सम्मान में पढ़ी जाती है। अबकि बार अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के 52 वें दीक्षांत समारोह में भूतपूर्व इसरो अध्यक्ष पद्मभूषित डॉ कोपिल्लिल राधाकृष्णन द्वारा जनपद के अहरौला अंतर्गत अमगिलिया गांव निवासी प्रवेश सिंह को रंजन कुमार मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किये जाने पर पूरे देश में आजमगढ़ का गौरव में बढ़ा है। अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के 52 वें दीक्षांत समारोह में अहरौला अंतर्गत अमगिलिया गांव निवासी जयप्रकाश सिंह के पुत्र प्रवेश सिंह को भूतपूर्व इसरो अध्यक्ष (पद्मभूषण) डॉ कोपिल्लिल राधाकृष्णन ने सामाजिक रूप से सबसे अच्छा व प्रासंगिक कार्य करने पर रंजन कुमार मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया। यह पुरस्कार विभाग के किसी भी कार्यक्रम के स्नातक से लेकर शोध छात्रों द्वारा सर्वश्रेष्ठ सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजना के लिए दिया जाता है। जो सिविल इंजीनियरिंग से संबंधित है। रंजन कुमार मेमोरियल अवार्ड से नवाजे गये प्र्रवेश सिंह ने इसका श्रेय प्रोजेक्ट के सहयोगी आदित्य, अपने प्रोफेसर डॉ शिवम त्रिपाठी माता पिता व दादा श्री झिनकू सिंह को दिया। जिन्होंने गरीब किसानों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें प्रेरित किया। प्रोजेक्ट की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पूरे देश में प्रयोग लाए जाने वाले पानी का 80 फीसदी से ज्यादा खेती के प्रयोग में लाया जाता है। जिसमे से ज्यादातर सीपेज और वाष्प के जरिए खेत में पहुंचने से पहले ही व्यर्थ हो जाता है। यही कारण है कि भारत में प्रति किलो धान की पैदावार में लगभग 2497 लीटर और गेहूं की पैदावार में लगभग 1500 से ज्यादा पानी का प्रयोग होता है। वही विकसित देशों जैसे इज़रायल, अमेरिका लगभग इसके 40 फीसदी पानी से अपनी पूरी खेती करता है इसके बावजूद भी उनकी पैदावार हमारे मुकाबले ज्यादा और अच्छी होती है। इसलिए भारत में बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन से भारत के निकट भविष्य में होने वाले जल संकट को रोकने के लिए बेहद आवश्यक है कि किसान भाई मिट्टी में आदर्श नमी के स्तर को बनाए रखने के लिए उतना ही पानी प्रयोग करें जितना आवश्यक है। इन्होंने फसल की बुआई से लेकर कटाई तक प्रतिदिन फसल जमीन से कितना पानी अपने उपयोग में के रहा है और कितना व्यर्थ जा रहा है उसे बचाने के उपाय और तरीकों को बताया है। प्रवेश सिंह की इस उपलब्धि पर माता कनकलता सिंह, तेजप्रकाश सिंह, प्रकाश सिंह, बिन्दु सिंह, भाई पवन सिंह श्रीनेत, सुनील सिंह, प्रतिमा, शौर्या, नेहा, रणजीत सिंह, पवन सम्राट, विनीत आदि सहित जनपदवासियों ने बधाईयां दी है।
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