आजमगढ़ 9 अप्रैल। राहुल सांकृत्यायन स्मृति केन्द्र के तत्वावधान में नगर के अनंतपुरा स्थित मदर कान्वेंट स्कूल में महापडित राहुल सांकृत्यायन की जयन्ती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और छात्रों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. प्रभुनाथ सिंह मयंक ने कहाकि महापंडित राहुल सांकृत्यायन त्रिपिटकाचार्य, विश्व यायावर, पुरातत्वविद्, स्वतन्त्रता सेनानी, बहुभाषाविद्, साहित्य, व्याकरण, लोक संस्कृति, मानवतावाद, दर्शनशास्त्र के महापंडित आचार्य थे। उन्होंने वोल्गा से गंगा, दर्शन-दिग्दर्शन, कनैलाकथा, घुमक्कड़शास्त्र, रणयौधेय समेत शताधिक ग्रन्थों की रचना करके भारतीय साहित्य को विश्व के ऊँचे क्षितिज पर प्रतिष्ठित किया। पंडित सुभाष चन्द्र तिवारी कुन्दन ने जैपनिया राछस, मेहरारुन के दुर्दशा, जर्मनिया क हार निहचय नामक ग्रन्थों की समीक्षा करते हुये कहा कि राहुल जी स्वतन्त्रता, समता और बन्धुत्व के पुरोधा थे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के महामंत्री प्रभुनारायण पांडेय प्रेमी ने कहा कि राहुल जी दुनिया के सर्वहारा की आवाज थे। उन्होंने अपनी कृतियों द्वारा मानवीय, करुणा, समता और अधिकारों की लोकतान्त्रिक व्यवस्था को विश्व पटल पर अभिव्यक्त किया। अध्यक्षीय सम्बोधन में पंडित अमरनाथ तिवारी ने कहा कि राहुल जी राष्ट्र भाषा हिन्दी के हिमायती और पालि साहित्य के उद्धारक त्रिपिटकाचार्य थे। विद्यालय के प्रबन्धक दीपक अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया। उक्त अवसर पर विद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं, साहित्यकार व बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के पूर्व प्रातः 7 बजे संस्था की ओर से कलेक्ट्रेट स्थित राहुल जी की मूर्ति पर साहित्यकारां द्वारा माल्यार्पण किया गया।
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