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आजमगढ़: रोजी रोटी के लिए बारुद के ढेर पर है कईयों की जिंदगी,बेखबर हैं जिम्मेदार

अग्निशमन विभाग के पास इन दुकानों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है

अप्रैल 2018 में सरायमीर के खानकाह में भी लगभग खत्म हो गया था एक परिवार

आजमगढ़: शहर कोतवाली के मुकेरीगंज में हुए भीषण हादसे से हर कोई जहाँ सकते में है वहीँ यह घटना जिम्मेदारों को किस हद तक जगाती है अब यह देखना है।  जिले में भले ही कई लाइसेंसी पटाखा की दुकानें घनी आबादी के बीच धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं, लेकिन अग्निशमन विभाग के पास ना तो इन दुकानों का कोई आंकड़ा है, ना ही बीते कई वर्षों में इन दुकानों का सत्यापन हुआ है। रोजी रोटी के लिए बारुद के ढेर पर है कईयों की जिंदगी, पर बेखबर हैं जिम्मेदार । जब भी कोई बड़ी घटना होती है तो प्रशासन द्वारा दावे तो तमाम किए जाते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
पटाखा विस्फोट से हुई जिले में बड़ी घटनाओं पर गौर करें तो सरायमीर थाना क्षेत्र के खानकाह गांव निवासी मीरा देवी (60) पत्नी स्व. मंगरु के मकान में उसके बेटों द्वारा अवैध तरीके से घर में पटाखा बनाने का काम किया जाता था। यह लोग अवैध तरीके से मकान में पटाखा बनाकर खुशियों के मौके पर लोगों के यहां जाकर आतिशबाजी करते थे। काफी दिनों से मकान में यह खेल चल रहा था। सरायमीर थाने की पुलिस सहित अन्य जिम्मेदार विभागों को इस बात की जानकारी थी, लेकिन कोई बंद कराने की जहमत नहीं उठाया। लापरवाही का परिणाम रहा कि 16 अप्रैल 2018 की दोपहर मीरा के मकान में पटाखों का विस्फोट हो गया। इस दौरान झुलसी मीरा और उसके बेटे राजन (28) की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि दूसरा बेटा चंदन उसकी पत्नी सुधा गंभीर रुप से झुलस गई थी। इलाज के दौरान इन दोनों की भी मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन को अवैध रुप से पटाखे की दुकान चलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन मामले को दबा दिया गया। जबकि अवैध पटाखों के विस्फोट से मीरा का परिवार ही खत्म हो गया। इसी प्रकार जिले के हर छोटी-बड़ी बाजारों में घनी आबादी के बीच अवैध तरीके से पटाखों की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। लेकिन विभाग के पास कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है, ना ही ऐसे दुकानदारों के विषय में पता लगाने का कोई अभियान आदि चलाया जा रहा। मुख्य अग्निशमन अधिकारी सत्येंद्र पांडेय ने बताया कि पटाखों की दुकान का लाइसेंस एसडीएम द्वारा दिया जाता है। ऐसे में विभाग के पास दुकानों का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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