आरोप ! अस्पताल में तैनाती के बाद भी बर्न स्पेशलिस्ट चिकित्सक करते हैं प्राइवेट अस्पताल में रेफर
मैं अकेला बर्न स्पेशलिस्ट हूँ ऐसे मरीजों को जान बचाना पहली जिम्मेदारी होती हैै -डॉ सुभाष सिंह , चिकित्सक जिला अस्पताल
आजमगढ़। मुकेरीगंज में लोगों को बचते समय आग में झुलसे अजय मौर्य की मौत के बाद परिजन उसके शव को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और शव को रखकर सीएमओ कार्यालय का घेराव कर दिया। आक्रोशित लोगों ने जिला अस्पताल में तैनात बर्न स्पेशल्स्टि चिकित्सक सुभाष सिंह के विरोध में नारा लगाना शुरु कर दिया। परिजन सीएमओ से बर्न स्पेशलिस्ट डाक्टर के निलम्बन की मांग कर रहे थे। उनका आरोप था कि डाक्टर ने अजय को खुद सिधारी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करने को कहा था क्योकि वह अपनी ड्यूटी समाप्त करने के बाद वहा वो प्राइवेट प्रेक्टिस करते हैं। वह अक्सर सदर अस्पताल से मरीजों को उसी अस्पताल में यह कह कर वहां भर्ती कराते हैं की केवल वही झुलसे हुए मरीजों का बेहतर उपचार करने के संसाधन है और स्वयं वहां जा कर प्रैक्टिस भी करते हैं । आक्रोशित लोगों को काफी देर के बाद पुलिस ने किसी तरह से शान्त कराया। अजय के शव को पोस्टमार्टम कराने के बाद शव उसके परिजनों को सोैप दिया गया। लेकिन अजय की मौत के बाद जो सच सामने आया वह एक अटल सत्य था अकेले डाक्टर ही नहीं जिला अस्पताल में तैनात अधिकांश डाक्टर सरकार से वेतन तो लेते हैं लेकिन प्राइवेट मे अपना धंधा खुद चलाते हैं और प्राइवेट अस्पताल में बैठते हैं और मरीजों को वहा जहां प्राइवेट मरीजों को देखते है वहा भर्ती कराने का राय देते है की वहा जल्द मरीज ठीक हो जायेगा वहा सारी सुविधांए उपलब्ध है जैसा की परिजन सहित अन्य लोगो ने आरोप लगाया है। अब देखना है नवागत चिकित्साधिकारी उनके उपर क्या कार्यवाही करते है यह तो समय बतायेगा।
वहीँ इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए डॉ सुभाष सिंह ने बताया की पूरे प्रदेश में मै अकेला बर्न स्पेशल्स्टि हूं इसलिएं बर्न के मरीजों को जान बचाना चिक्त्सिक की पहली जिम्मेदारी होती हैै , चाहे वो मरीज सरकारी अस्पताल में हो या प्राईवेट में। डा.सुबाष सिंह ने कहा कि परिजन ने जो आरोप लगाया है वो सारासर गलत है। जिस दिन घटना हुई मेै नही था उसदिन में अवकाश पर था और अपने गांव में था। उन्होंने कहा कि मैने किसी मरीज को किसी निजी अस्पताल में नही रेफर किया है । उन्होने कहा कि न तो मैने किसी मरीज को सिधारी स्थित जो अस्पताल का नाम बता रहे वहां भेजा है । मुझे तो निजी अस्पताल के चिक्त्सिक भी बर्न के मरीजों को देखने के लिए बुलाते है।
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