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आजमगढ़ : खाद्य सुरक्षा की सरकारी योजना को अंगूठा दिखा रहा है बायोमैट्रिक सिस्टम

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला मजदूरों के राशन के लिए उठाई गई आवाज 

आजमगढ़ : बीमारी की हालत में शकीला खातून का बेटा को राशन के लिए दुकान का चक्कर लगाना पड़ता है जिससे महीने में 8 से 10 दिनों तक विद्यालय नही जा पता है और उसकी पढाई बाधित हो रही है शकीला खातून आजमगढ़ की ग्राम पंचायत गजहड़ा की रहने वाली हैं। शौहर गुजर चुके हैं राशन लेने के लिए अनिवार्य किए गए बायोमैट्रिक सिस्टम की असफलता इससे बड़ी और क्या होगी कि शकीला जैसी महिलाओं को उनका राशन नहीं मिल पा रहा। यही हाल गजहडा की रहने वाली शम्सुनिशा का है अक्सर अंगूठे की छाप मिलाने के लिए राशन दुकान के चक्कर लगाती हैं जिससे वह आय अर्जन नही कर पा रही है ये घटना सिर्फ एक गावं की नही बल्कि आजमगढ़ के कई गावों की है जिसमे से एक गावं मंगरावा की रहने वाली शारदा की है, शारदा एक गरीब महिला है और इनके पति मजदुर है राशन लेने के लिए 5 से 10 दिनों घर पर रुकना पड़ता है परन्तु फिर भी अंगूठा की छाप नही मिलने से पिछले ३ महीने से राशन नही मिल रहा है जिससे इनकी माली हालत दिन पर दिन बदतर होती जा रही है यही हाल सरायमीर की रहने वाली रोशन जहां और निकहत का भी है। घर की माली हालत पहले से ही बदतर है उसपर सरकारी मदद के नाम पर जो राशन मिलना है वह भी नहीं मिल पा रहा।
ग्राम चक्सिक्ठी की रहने वाली कनीजा, हसीना और सब्बो को भी अंगूठा की छाप नही मिलने से राशन नही मिल रहा है और बार बार राशन दुकान के चक्कर लगाने से दुकानदार द्वारा भी भला बुरा कहा जाता हैA
क्योंकि इनमें से किसी के अंगूठे की छाप बायोमैट्रिक सिस्टम में मिल नहीं पाती। अब सवाल उठता है कि इनके अंगूठों की छाप मिलती क्यों नहीं। असल में मजदूरी करते-करते इन सभी महिलाओं के अंगूठे इतने घिस जाते हैं कि मशीन उसे ट्रेस नहीं कर पाती। कई बार मशीन की तकनीकी खराबियां भी इनके आड़े आती हैं। कई बार लोगों को दो-तीन महीनों तक पात्रता होने के बावजूद राशन नहीं मिल पा रहा है।
आली के बनारस और आजमगढ़ के सामुदाय की नेत्रितत्व कारी महिलाओं ने इस योजना की पड़ताल की तो ऐसे कई मामले सामने आए। ऐसे में बायोमैट्रिक सिस्टम के ठीक तरह से काम न करने की वजह से पात्र लोगों के अधिकार का हनन हो रहा है। इन सब लापरवाहियों के बीच खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाली सहूलियतें सिर्फ कागजों पर दिखाई देती हैं। इस पर कोटेदारों का कहना है कि कभी सिस्टम का नेटवर्क खराब रहता है तो कभी सर्वर डाउन हो जाता है। जब सारी चीजें सही रहती हैं तो अंगूठे के निशान नहीं मिलते। अब सवाल ये उठता है कि ऐसी सरकारी सहूलियतों का क्या फायदा जो जरूरतमंद नागरिकों तक पहुंच ही न पाए या उन्हें और ज्यादा परेशान करने लगे।
उपर्युक्त परेशानियों को देखते हुए जनपद आजमगढ़ की महिलाओं ने 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बायोमेट्रिक मशीन व्यवस्था के कारण आ रही समस्याओं को दूर करने हेतु जिलाधिकारी आजमगढ़ को ज्ञापन सौपा ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का सही तरीके से पालन हो सके।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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