31 मार्च को श्री गणेश बड़ा मंदिर में आजमगढ़ शहर में पहली बार आयोजित होगी कार्यशाला
आजमगढ़: जिस भी व्यक्ति को समृद्धि स्वास्थ्य और समृद्धि धन में चाहिए या रिश्तों में प्रेम की समृद्धि चाहिए तो वे मैजिक आफ ग्रेटिटूड (एमओजी) की संवदात्मक कार्यशाला का लाभ उठाये यह जीवन को सकारात्मक तौर पर इतना बदल देगा कि जीवन का नजरिया ही बेहद आत्मविश्वास युक्त जायेगा। ऐसी जीवनपयोगी कार्यशाला पहली बार शहर में आयोजित हो रहा है उसका लाभ उठाकर जीवन को बेहतर बनाने के हेतु संवदात्मक कार्यशाला का लाभ उठाये। उक्त बातें मैजिक ऑफ ग्रेटीटूड (एमओजी) के जनपद में आयोजित कार्यशाला की आयोजिका विजय लक्ष्मी मिश्रा ने शुक्रवार को लालडिग्गी स्थित श्री बड़ा गणेश मंदिर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों से कही। विजय लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि नगर के लालडिग्गी स्थित श्री गणेश बड़ा मंदिर में 31 मार्च की सुबह से कार्यशाला 8 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। यह पूरा कार्यक्रम 4 सेशन में हैं। पहला सेशन लगभग दो घंटे का होगा, जो भी व्यक्ति दिल से सहभाग लेगा और जैसे जैसे उसको बताया जाएगा वैसे वैसे उसको अप्लाई करेगा, पहला सेशन समाप्त होने के बाद ब्रेक दिया जाएगा। उस ब्रेक से वापस आने के बाद कोई ना कोई फायदा होगा ही होगा, ये गारंटी है की अगर वो दिल से सहभाग लेगा तो उसको निश्चित ही रिजल्ट मिलेगा। विजय लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि मैजिक ऑफ ग्रेटीटूड (एमओजी) यानि कि आभार में रहने से हम अपने जीवन में कैसे कैसे चमत्कार का अनुभव करते हैं। हमारे जीवन के तीन अहम हिस्से जो स्वास्थ्य, धन व रिश्ते है। किसी के पास बहुत अच्छा स्वास्थ्य है, किसी के पास बहुत धन है, किसी के बहुत अच्छे रिश्ते हैं, तो किसी के पास धन नहीं है तो किसी के स्वास्थ्य सही नहीं है तो कुछ लोग के रिश्ते मजबूत नहीं है. तो सबसे बड़ा सवाल ये आता है, की ऐसा क्यों है? इसके पीछे का मूल कारण ये है कि प्रकृति मतलब कायनात जिसको यूनिवर्स बोलते हैं वो किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है। श्रीमती मिश्रा ने आगे बताया कि कायनात के लिए सभी मानव चाहे वो पुरुष, स्त्री, काला, गोरा, मोटा, पतला आदि कोई भी हो वो किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। प्रकृति सबको एक जैसा मानती है और उसके लिए हर एक बराबर है। लेकिन किसी को कम किसी को ज्यादा ऐसा क्यों होता है? इसका मूल कारण है कि जिस व्यक्ति के अंदर ब्लॉक्स होते हैं, मतलब उस व्यक्ति को उसके मन ने उसके भीतर से कुछ पकड़ा हुआ है, उसको पकड़ के रखने से ही उसके अंदर ब्लॉक्स बनते हैं। ये ब्लॉक्स उसके जीवन में पत्थर रूपी, चट्टानों या पहाड़ रूपी उसे घेर के रखती है, जिससे कि उसे जो पाना है उसे वो आकर्षित नहीं कर पाता। इस कार्यक्रम से ये समझ में आएगा कि उन ब्लॉक्स को अपने अंदर से कैसे निकाल फेंकना है, जिसकी वजह से जो हम चाहते हैं उसे हम आकर्षित नहीं कर पाते हैं, संवदात्मक कार्यक्रम है। जो बहद प्रैक्टिकल वर्कशॉप है। इस अवसर पर सिद्धार्थ सिंह डा पूनम तिवारी, डा जेपी मिश्रा, एड जितेन्द्र सिंह सहित आदि मौजूद रहे।
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