आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में धांधली को लेकर शिकायतों की अनुगूंज कोई नई नहीं है। अलबत्ता शिकायतें पूर्व में भी की जाती रही है,किन्तु पीसीएस 2015 की परीक्षा में धांधली को लेकर जब प्रतियोगी छात्रों संग राजनीतिक दलों ने हो-हल्ला मचाया तो सरकार ने बड़ी गंभीरता से लिया। लिहाजा राज्य सरकार के अनुरोध पर 2017 में केंद्र की सरकार ने सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया। जनवरी, 2018 से सीबीआइ जांच शुरू हुई। प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआइ ने पीसीएस 2015 भर्ती 521 पदों के सापेक्ष हुई परीक्षा में धांधली को मानते हुए अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। शीतकालीन सत्र में सगड़ी विस क्षेत्र की बसपा विधायक बन्दना सिंह ने नियम-51 तहत इस मामले में सदन से वक्तव्य की अनुमति मांगी पर उन्हें अगले सत्र तक के लिए टाल दिया गया। वर्तमान सत्र में आठ फरवरी तिथि निर्धारित की गई लेकिन संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री सुरेश खन्नाविधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि सीबीआइ जांच में हुई प्रगति एवं उसमें चार्जशीट जमा किए जाने तथा दोषियों की गिरफ्तारी से संबंधित सूचना सीबीआइ के माध्यम से अभी प्राप्त नहीं हुई है, जिसके कारण वक्तव्य का उत्तर दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। कृपया विधानसभा में इस वक्तव्य को अभी स्थगित कराने का कष्ट करें। इधर बसपा विधायक ने सरकार के इस जवाब के प्रति असंतोष जताया है। कहा कि यही स्थिति रही तो छात्रहित में सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।
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