बूढ़नपुर: आजमगढ़ : पिछले दो दिन से छिटपुट बारिश एवं बदली के कारण तापमान में गिरावट आई जिससे किसानो के माथे पर बल पद गए हैं । इधर, शुक्रवार की शाम लगभग 4.30 बजे बूढ़नपुर क्षेत्र में बारिश के साथ ओले पड़ने से रबी की फसल को काफी नुकसान हुआ है। लगभग 30 मिनट तक तेज हवा के साथ बारिश और ओला पड़ने से सरसों, सुर्ती, आलू, मटर, चना, गोभी की सभी फसलें बर्बाद हो गई। इसके बाद ठंड बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। खबर लिखे जाने तक देर शाम शहर क्षेत्र में भी बारिश शुरू हो गई थी। ऐसे में जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा. उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि गेहूं में पीली गेरुई और आलू की फसल में मौसम में नमी आ जाने के कारण अगैती और पिछैती में झुलसा एवं सरसों की फसलों में माहो कीट का आक्रमण की आशंका बढ़ गई है। किसान विशेषज्ञों के सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर अपनी फसल का बचा सकते हैं। गेहूं में पीली गेरुई के लक्षण व उपचार के लिए बताया गया की इसके लक्षण पत्तियों पर पीले रंग की धारी के रूप में दिखाई देते हैं, जिसे हाथ की अंगुलियों से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपिकोनाजोल 25 फीसद, ईसी 200 मिली मात्रा को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। रोग के प्रकोप एवं फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर करें। फसल पर रसायन का छिड़काव बारिश व कोहरे की स्थिति में न करें। राई व सरसो में प्रकोप व उपचार मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई व सरसों की फसल में माहो कीट के प्रकोप होने की आशंका होती है। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (पांच फीसद प्रभावित पौधे) से अधिक हो तो क्लोरोपायरीफास 20 इसी एक लीटर या डायमेथोएट 30 इसी एक लीटर या मिथाइल ओडेमीटान 25 इसी एक लीटर में से किसी एक को प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आलू की फसल में अगैती व पिछैती झुलसा रोक का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं और तीव्र प्रकोप होने पर संपूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के प्रकोप की स्थिति में कापरआक्सी क्लोराइड 50 फीसद डब्ल्यूपी एक किलो या मैंकोजेब 75 फीसद डब्ल्यूपी 0.8 किलो या जिनेब 75 फीसद डब्ल्यूपी 0.8 फीसद में से किसी एक को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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