.

.

.

.
.

आजमगढ़: डा0 वन्दना की पुस्तक 'कुम्भ मीमांसा' का सीएम योगी ने किया विमोचन

देवलिपि संस्कृत में तीर्थराज प्रयाग का सूक्ष्म संकलन है 'कुम्भ मीमांसा

'संस्कृत को आगे बढ़ाते हुए ही संस्कृति की रक्षा हो सकती है- डॉ0 वंदना द्विवेदी 

आजमगढ़: जहां श्रुतियां, स्मृतियां और गंगा,जमुना प्रमाण के तौर पर मौजूद है उस तीर्थराज प्रयाग में ऐतिहासिक कुम्भ के आगाज के दौरान देवलिपि संस्कृत की मर्मज्ञ डा वन्दना द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक कुम्भ मीमांसा का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया। अनादिकाल से अनवरत जारी कुम्भ समारोह में 'कुम्भ मीमांसा' का विमोचन अद्वितीय है। कुम्भ मीमांसा में मुख्य रूप से दिव्य भारत भूमि का वर्णन, गंगा-यमुना सरस्वती माहात्म्य का वर्णन, कुंभ का तात्विक अर्थ, कुंभ का पौराणिक महत्व, अखाड़ों का इतिहास, धार्मिक एवं मानवतावाद का समन्वय कुंभ, त्रिवेणी माहात्म्य, रामचरित मानस में त्रिवेनी माहात्म्य, आदि शंकराचार्य जी के मत में गंगा, यमुना-सरस्वती माहात्म्य, गंगा सहस्रनाम स्त्रोत आदि का वर्णन समाहित है। यह विमोचन बीते दिनों जगदगुरू हंसदेवाचार्य के पंडाल में हुआ। जहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी, सभी अखाड़ा अध्यक्ष तथा न्याय मूर्ति गिरिधर मालवीय, महंत संत आदि उस पल के साक्षी बनकर कुम्भ मीमांसा को बेहद खास जगह पर स्थापित करा दिया।
इस बावत डा वन्दना द्विवेदी का कहना है कि संस्कृत देवलिपि है। संस्कृत ने ही वासुधैव कुटुम्बकम की सोच दिया है। देश व समाज का उत्थान संस्कृत को आगे बढ़ाते हुए संस्कृति की रक्षा हो सकती है। कुम्भ मीमांसा के जरिये मेरा उद्देश्य भारतीय दर्शन को प्रदर्शित करना था, जो बेहद गंभीर और मनन योग्य है। जिसमे प्रयाग कुम्भ से जुड़े विविध सन्दर्भो का एक सूक्ष्म संकलन है, प्रयाग के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिचय को संगृहित किया गया है। उन्होंने सभी से अपील किया कि कुम्भ मीमांसा पुस्तक का अध्ययन कर कुम्भ की संस्कृति से सामंजस्य जोड़ें।
बताते चलें कि जनपद के कंधरापुर थानांतर्गत मल्लूपुर चेवता गांव निवासिनी डा वन्दना द्विवेदी वर्तमान में अग्रसेन महिला पीजी कालेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप अपनी सेवा दे रही है। इसके अलावा संस्कृत भारती गोरक्ष प्रांत की जिला संयोजिका के तौर पर संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने में जुटी है। वहीं डा द्विवेदी के पिता मुसाफिर शुक्ल बीडीओ के पद से सेवानिवृत्त है एवं माता शंकरावती गृहणी है। शिक्षा दीक्षा इनकी प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर इंटरमीडिएट पर्यंत तक की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में ही सम्पन्न हुई है। स्नातक, स्नात्तकों (संस्कृत) तथा डिफिल इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से सम्पन्न हुई है। डा द्विवेदी चार भाई-बहनों में सबसे छोटी है। बड़े भाई भारतीय पुलिस सेवा दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारी है, दूसरे नम्बर के भाई पीसीएस मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अधिकारी है एवं तीसरे नम्बर के भाई नेहरू ग्राम भारती में विधि के असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी सेवा दे रहे है। डा वन्दना द्विवेदी के पति आशुतोष द्विवेदी मऊ में बतौर सीडीओ कार्यरत है।
इसके इतर, प्रागुत्तर वेदांत नामक रचना से विद्वत, साहित्यजगत में अपनी मजबूती उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। सीएम के हाथों कुम्भ मीमांसा के विमोचन से आजमगढ़ के साहित्यकार इसे बेहद खास उपलब्धि बता रहे है क्योंकि हिन्दी के क्षेत्र मे जनपद के साहित्यकार, कथाकारों का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। इस बार देवलिपि के जरिये कुम्भ मीमांसा ने भारत वर्ष में अपना ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज करायी है। डा द्विवेदी की उपलब्धि से विद्वत प्रेमियों में हर्ष व्याप्त है। 

Share on Google Plus

रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

आजमगढ़ लाइव-जीवंत खबरों का आइना ... आजमगढ़ , मऊ , बलिया की ताज़ा ख़बरें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment