श्रीकृष्ण गौशाला समिति के शताब्दी वर्ष पर श्रीमद् भागवत कथा आयोजन
आजमगढ: श्रीकृष्ण गौशाला समिति के शताब्दी वर्ष पर नारायण सेवा संस्थान के सहायतार्थ आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास राधा किशोरी के मुख से अमृत रस की वर्षा जारी रही। कथा की शुरूआत कार्यक्रम संयोजक अभिषेक जायसवाल दीनू, भोलानाथ जालान, मनोज खेतान, विरेन्द्र बरनवाल, शंकुतला जालान आदि ने भागवत आरती से किया। पांचवे दिन में ठाकुर जी का नामकरण व बाल लीला, गोवर्धन पर्वत प्रसंग का सुविस्तार से वर्णन हुआ। झांकी के माध्यम से अंहकार को तोड़ने के लिए गिरीराज पर्वत उठाने, प्रभु श्रीकृष्ण की लीलाओं के दृश्य से पूरे कथा स्थल को भागवत रस में सराबोर कर दिया गया। श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन राधा किशोरी जी ने भगवान की लीला जीवनोपयोगी बताया। इसे आत्मसात कर हम अपना यही लोक और परलोक दोनों सुधार सकते हैं। लीला वर्णन पर बताया कि भगवान को जो भाव से कुछ भी देता है उसे भगवान संपूर्ण सुख प्रदान कर देते हैं। इसके बाद राधाकिशोरी ने गिरिराज पूजनोत्सव के सरस वर्णन से कथा का विस्तार किया। सरस प्रसंगो, आख्यानों, एवं संगीतमय भजनों पर श्रोता जमकर झूमे एवं भावविभोर होकर राधे-राधे के जयकारां में सराबोर रहें। इसके बाद मोहक झॉकियों के माध्यम से प्रभु की सरस ललित ब्रज लीलाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। राधा किशोरी ने बताया कि गोवर्धन का अर्थ है गौ संवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गौ संवर्धन से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम बिना कर्म करे फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा, कर्म तो हमें करना ही होगा। उन्होंने कहाकि घमंड तोड़ इंद्र का प्रकृति का महत्व समझाया ऊँगली पर उठाकर पहाड़, वो ही रक्षक कहलाया, ऐसे बाल गोपाल लीलाधर को श्रद्धालुओं ने बारम्बार प्रणाम करने की बात कही। गोवर्धन पर्वत कलयुग के प्रत्यक्ष देवों में से है। इस मौके पर मंदिर में गिरिराज पर्वत की झांकी सजाई गई। इस अवसर पर बाल प्रतिभा मंच के गुणी बाल कलाकारों ने अपनी भक्ति भाव पूर्ण प्रस्तुति दी। आरती, प्रसाद वितरण के साथ कथा को विश्राम दिया गया। कथा में अशोक रूंगटा, अजय अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, बाबी अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, चन्दन अग्रवाल, सुबाष सोनकर, जयप्रकाश यादव, श्रीराम आदि सहित भारी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।
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