आजमगढ़: शहर से सटे बाबा नरसिंह दास के मुंडा स्थित संकट मोचन हनुमान जी मंदिर में देरशाम प्रवचन कर्ता बाबा ललित नारायण गिरी ने भगवान रामचन्द और माता सीता के विवाह प्रसंग का वर्णन किया। इस अद्भुत मौके पर एक जोड़े को भी सात जन्मों के रिश्तों में बांधा गया। नवदम्पति में वर श्रीराम गौंड गोरखपुर का है जबकि वधु नीलम आजमगढ़ की निवासिनी है। आयोजक मंडल ने इन्हें पूरी विधिवित रीति रिवाज से विदा किया। जिस देख सभी मंत्रमुग्ध हो गये। कथा वाचक ललित नारायण गिरी ने श्रद्धालुओं को बताया कि त्रेता युग में पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था। उस समय मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा करने के उद्देश्य से अयोध्या के महाराज दशरथ से उनके पुत्रों राम एवं लक्ष्मण जी को मांग कर ले गए। यज्ञ की समाप्ति के पश्चात विश्वामित्र जी जनक पुरी के रास्ते से वापसी आने के समय राजा जनक के सीता स्वयंवर की उद्घोषणा की जानकारी मिली। मुनि विश्वामित्र ने राम एवं लक्ष्मण जी को साथ लेकर सीता के स्वयंवर में पधारें। सीता स्वयंवर में राजा जनक जी ने उद्घोषणा की जो भी शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसके साथ सीता के विवाह का संकल्प किया है । तमाम विशिष्ट जन इस कार्य में नाकाम हो गए तो जनक जी चिंतित हुए की लगता है यह पृथ्वी वीरों से विहीन हो गयी है, तभी मुनि विश्वामित्र ने श्री राम को शिव धनुष भंग करने का आदेश दिया। राम जी ने मुनि विश्वामित्र जी की आज्ञा मानकर शिव जी की मन ही मन स्तुति कर शिव धनुष को एक ही बार में भंग कर दिया। उसके उपरान्त राजा जनक ने सीता का विवाह बड़े उत्साह एवं धूम धाम के साथ राम जी से कर दिया। इसी के साथ कथा को विश्राम देते हुए प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर तारा सिंह, हरिश्चन्द्र सोनकर, विनय बरनवाल, राजेन्द्र गुप्ता, शरद राय, श्रीकांत यादव, विकास राय, संतोष उपाध्याय, अरविन्द मौर्या, श्रीराम, संदीप, शक्ति, कैलाश, धर्मेन्द्र, नारायण, दुलारे, मनोज, सुनील, राजकुमार, आयुष, अगंद, विशाल, रविन्द्र, श्यामबहादुर, अन्नत आदि लोग मौजूद रहे।
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