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आजमगढ़ के लाल ने गांव की पाठशाला से नासा की प्रयोगशाला तक का सफ़र तय किया

सठियांव के डा0 योगेश्वर नाथ मिश्र को स्वीडेन गवर्नमेंट के रिसर्च कौंसिल से मिली ग्रांट ,गौरवान्वित हुआ आजमगढ़ 

आजमगढ़: जो जर्रा यहां से उठता है वह नैय्यरे आजम होता है...प्रख्यात शायर इकबाल सुहेल की यह पंक्तियां समय-समय पर आजमगढ़ की शान में पढ़ी जाती है। इस बार विश्व पटल पर अपने देश के नाम को आजमगढ़ के लाल डा योगेश्वर नाथ मिश्र ने नासा में ग्रांट मिलने पर गौरवान्वित किया। जैसे ही यह खबर आजमगढ़ में आयी पूरे जनपदवासियों ने डा योगेश्वनाथ को देश का गौरव बताया। वहीं श्री मिश्र ने इसे गांव की पाठशाला से नासा की प्रयोगशाला तक का सफ़र बताया। आजमगढ़ के सठियांव ब्लाक के पैकौली गांव निवासी राजेंद्र नाथ मिश्र के पुत्र डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्र को अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध स्पेस प्रयोगशाला नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, लोस अन्गेलेस कैलिफ़ोर्निया में बतौर वैज्ञानिक रिसर्च करने के लिए तीन वर्ष के लिए लगभग 2.5 करोड़ रुपये का इंटरनेशनल पोस्टडोक रिसर्च ग्रांट मिला है। यह ग्रांट उनको स्वीडेन  गवर्नमेंट के रिसर्च कौंसिल द्वारा अपनी पीएचडी इन इंजीनियरिंग डिग्री उपरांत मिला है। जिसका सिलेक्शन रेट मात्र 16/17 प्रतिशत है। डॉ मिश्र ने जनवरी 2018 में स्वीडन की प्रथम और दुनिया में साठवी सर्वोच्च संस्था लुंड यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ़ इंजीनियरिंग से पीएचडी पूरा किये। इसके बाद वर्तमान में जर्मनी में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं।
इस बावत अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाले डा योगेश्वर नाथ मिश्र ने बताया कि वो अभी भी इस उपलब्धि पर विश्वास नहीं कर पा रहे है, क्योंकि ये ग्रांट स्वीडन के सबसे टॉप क्लास रिसेर्चेर को ही मिलता है। श्री मिश्र को  यह ग्रांट धरती और दूसरे ग्रहो के पर्यावरण या सतह के भीतर जमीं बर्फ और उसके रसायन और भौतिकी अध्ययन करने के लिए मिला हैं।
डॉ मिश्र ने कहा कि मार्च-अप्रैल 2019 से नासा में अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। डॉ मिश्र ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन लेजर्स एंड ओप्टोइलेक्ट्रॉनिक साइंसेज, केरल से इंटीग्रेटेड मास्टर डिग्री इन फोटोनिक्स (ऑप्टिकल इंजीनियरिंग) लेते समय, भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान-खरगपुर, भारतीय एसोसिएशन ऑफ़ कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस-कोलकाता, रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट-बैंगलोर में रिसर्च किये। उसी समय उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास-अमेरिका और यूनिवर्सिटी ऑफ़ गोथेनबर्ग-स्वीडन में रिसर्च फ़ेलोशिप मिला। डॉ मिश्र का वर्ष 2011 में भारतीय अकादमी ऑफ़ साइंस-बैंगलोर से प्रतिष्ठित रिसर्च फ़ेलोशिप के लिए चयन हुआ। वर्ष 2013 में उन्हें यूरोपियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ लिक्विड अटोमीजेसन और स्प्रे सिस्टम-जर्मनी की तरफ से पेट्रा अवार्ड फॉर यंग रिसेर्चेर मिला और वर्ष 2015 में उन्हें अफोर्स्क फाउंडेशन-स्वीडन से भी रिसर्च ग्रांट मिला। इतना ही नही, वर्ष 2017 में उन्हें अपने पीएचडी में किए गए शोध के लिए प्रतिष्ठित गॉर्डोन रिसर्च सेमिनार फॉर लेज़र डायग्नोस्टिक्स इन कंबस्शन-अमेरिका से बतौर स्पीकर आमंत्रण मिला। वैज्ञानिक श्री मिश्र ने बताया कि माता स्व ज्ञानमति देवी की स्मृति में अपने ग्रांट की राशि के कुछ हिस्से को वे किसी जरूरतमंद छात्र की पढ़ाई पर खर्च करेंगे ताकि वे भी आगे चलकर देश का मान बढ़ाने का कार्य कर सकें।
विश्व के सर्वोच्च नासा जैसे संस्थान में ग्रांट मिलने से डा0 श्री मिश्र परिजन व शुभचिंतक बेहद खुश हैं। पिता राजेंद्र नाथ मिश्र ने इसे परिश्रम व लगन का परिणाम बताया वहीं उनके अनुज भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष कमलेन्द्र मिश्र ने कहा कि देश के लिए गौरव की बात है कि विश्व क्षितिज पर आजमगढ़ के लाल ने कीर्तिमान हासिल किया है। उनकी उपलब्धि से पूरा जनपद खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। डा योगेश्वर नाथ मिश्र को बधाई देने वालों में बडे पिता महेन्द्र नाथ मिश्र, प्रेमप्रकाश राय, वरूण राय, बृजेश यादव, संतोष पांडेय, एकलव्य पांडेय, हरिओम सिंह आदि ने बधाई दिया है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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