आजमगढ़ :05 अक्टूबर 2018-- मुख्य अग्निशामक अधिकारी सत्येन्द्र पाण्डेय ने बताया है कि विगत वर्षाें की भांती इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र का पर्व 09 अक्टूबर से प्रारम्भ होकर 19 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। इस अवसर पर जगह-जहग माता श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन-अर्चना किया जाता है, जिसमें काफी समूह एकत्रित होते हैं। माती श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापना हेतु किये जा रहे अस्थायी संरचना (पाण्डाल) में भारतीय मानक संख्या-87585ः1998 तथा 2190:1992 के अनुसार अग्निसुरक्षा व्यवस्था किये जाने हेतु निर्गत किये गये निर्देशों का पालन किया जाना जनहित में आवश्यक होगा। जिससे जनपद आजमगढ़ में दुर्गापूजा/दशहरा त्यौहार सकुशल सम्पन्न हो सके। उन्होने जनपद आजमगढ़ के माता श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित करने वाले समस्त व्यवस्थापक/दुर्गापूजा समितियों के प्रबंधकों से पण्डाल निर्माण करते समय अग्निशमन सुरक्षा सम्बन्धी उपाय करने की अपेक्षा की है। जिसमें पण्डाल की ऊंचाई 03 मीटर से कदापि कम न होने पाये, पण्डाल के चारो तरफ 03 मीटर का खुला स्थान अवश्य रखा जाये। पण्डाल निर्माण में सिथेंटिक कपड़ों/रस्सी का प्रयोग पूर्णतः वर्जित है। पण्डाल के निर्माण में केवल सूती कपड़ा/त्रिपाल/फायरपु्रफ कपड़ों से ही किया जाय तथा बांस बल्ली बांधने हेतु केवल सूती रेशमी/नारियल के रस्सी का ही प्रयोग किया जाय। पण्डाल/ढ़ांचा का प्रवेश/निकास मार्ग की चैड़ाई व ऊंचाई 05 मीटर से कम नही होना चाहिए। पण्डाल/ढ़ांचा निर्माण करते समय यह ध्यान रखा जाय कि पण्डाल से बाहर कोई भी निकास द्वार 15 मी0 से अधिक दूरी पर न हो। पण्डाल में दो आकस्मिक द्वार का निर्माण किया जाये, जिसकी चैड़ाई 03 मी0 से कम न हो। पण्डाल की संरचना मजबूत बांस बल्लियों से कराया जाय, तथा बांस बल्लियों के मजबूती की प्रमाण पत्र लोक निर्माण विभाग आजमगढ़ से प्राप्त किया जाय। पण्डाल ढ़ांचा में नंगे चिराग का प्रयोग, तथा पण्डाल के अन्दर सजावटी प्रकाश व्यवस्था किया जाना पूर्णतः वर्जित है, व पण्डाल के आस-पास किसी प्रकार का आतिसबाजी नही जलाया जाय। पण्डाल में प्रकाश व्यवस्था हेतु नंगे/कटे-फटे तारों का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है तथा हाईलोजन लाईट का प्रयोग नही किया जाय। पण्डाल में प्रकाश व्यवस्था किसी लाईसेंस प्राप्त ठेकेदार से ही कराया जाय तथा विद्युत सुरक्षा अधिकारी प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त किया जाय। विद्युत तारों की वायरिंग पण्डाल के कपड़ों से कम से कम 15 समी0 दूर रखा जाय। पण्डाल में किचन का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है तथा किचन पण्डाल से 03 मी0 दूर पर ही टिनशेड में बनाया जाय। पण्डाल की सुरक्षा हेतु उक्त समिति के 02 सदस्य को राउण्ड द क्लाक निगरानी हेतु सदैव पण्डाल में उपस्थित बने रहना आवश्यक है। इसी के साथ-साथ पण्डाल में अग्निसुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना अनिवार्य है जिसके तहत पण्डाल में कम से कम दो फायरएक्सटींग्यूसर सदैव कार्यशील दशा में बनाये रखना आवश्यक है, पण्डाल में निकास एवं प्रवेश द्वारों पर 200 ली0 क्षमता के पानी के ड्रम अवश्य रखा जाय, बालू तथा पानी से भरा फायर बकेट मय स्टैण्ड से बनाये रखना अनिवार्य है, किसी सुरक्षित स्थान पर 10 घनफिट बालू की व्यवस्था बनाये रखना अनिवार्य है, बालू स्टाक पास एक बेल्चा की व्यवस्था ही जाय, जगह-जगह पर धुम्रपान निषेध पट्टिका लगाया जाना अनिवार्य है तथा आकस्मिक टेलीफोन नं0-100/101/9454418617, 9454418618 व स्थानीय थाने का टेलीफोन नं0 100@101@9454418617] 9454418618 का बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य है।
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