आजमगढ़ : ‘‘प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ उ0प्र0’’ केन्द्रीय कार्यकारीणी के आवाह्न पर उ0प्र0 सरकार के हठधर्मी , अव्यवहारी, स्वेच्छाचारी रवैये से विवश होकर सरकारी चिकित्सक आन्देलन के मूड में हैं। इसी क्रम में सोमवार को पूरे प्रदेश समेत आजमगढ़ में भी सरकारी चिकित्सक विरोध के प्रतीक स्वरूप काला फीता बांधकर जनता को अपनी सेवायें दे रहे है। जनपद आजमगढ़ में मण्डलीय जिला चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय, मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय समस्त सामु0 स्वा0 केन्द्र/प्रा0 स्वा0 केन्द्र के सभी चिकित्साधिकारी ने अपनी भागीदारी कर संघ के आन्दोलन के साथ अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी । 22 करोड़ से अधिक जनसंख्या की दिन रात, सेवा करने वाले राजकीय चिकित्सकों के संवर्ग को अपमान, प्रताड़ना और गुलामी का शिकार बना दिया गया है। अन्दिलनरत चिकित्सकों ने कहा की कर्तव्यनिष्ठां , कठोर परिश्रम और जीवन भर में अर्जित योग्यता के लिये प्रोत्साहन देने के बजाये, संवर्ग के चिकित्सकों के मौलिक अधिकारों तक को दर-किनार कर दिया गया है, यहॉ तक कि, सेवा में योगदान के समय-प्रवृत्त, अधिवर्शता-आयु पर सेवा निवृत्त होने जैसे मौलिक अधिकार और स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के अधिकारों से भी राज्य सरकार ने उन्हे वंचित कर दिया है। ऐसे में जहॉ दशकों से सेवारत चिकित्सक हताष, निराष और कुंठित हैं वहीं नये चिकित्सक नियमित राजकीय सेवा में आने से डर गये हैं और उन्हे नियमित राजकीय सेवा में लाने में सरकार के सारे प्रयास विफल हो गये है। इसके चलते प्रान्तीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के मृत प्रायः होने का खतरा बहुत बढ़ गया है, जो लोक-कल्याणकारी राज्य के लिये सबसे बड़ी चिन्ता का विशय होना चाहिए और इसे रोकने के उपाय करना सभी की जिम्मेदारी है। गैरतकनीकी आधारों पर आधारित नीतियों के चलते पटरी से उतरी चिकित्सा सेवाओं की दुर्व्यवस्था के लिये चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि विभाग में दोहरी-तीहरी अव्यवहारिक व मनमानी व्यवस्थाओं के चलते चिकित्सा सेवायें, अराजकता और दिषाहिनता की तरफ बढ़ रही है। राज्य में सरकार की घोशित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये आवष्यकता के सापेक्ष स्थई ढाचें में एक चौथाई से भी कम चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी उपलब्ध हैं। सन् अस्सी के दशक में सरकार द्वारा स्वयं निर्धारित किये गये जन स्वास्थ्य के मानक, आज सन् 2018 तक भी प्राप्त नही किये जा सके है- इस वास्तविकता को न केवल दबाया व छुपाया जा रहा है अपितु इस बावत आम जनता और न्यायालय तक को अंधेरे में रखा गुलाम बनाकर छोड़ दिया जाना किसी हालत में सहन नही किया जा सकता है। इस दौरान मण्डलीय जिला चिकित्सालय आजमगढ़ में चिकित्को की एक बैठक की गई जिसमें कहा गया कि दोहरी व्यवस्था के तहत चिकित्सा इकाईयों में रूपये ढाई लाख तक, प्रतिमाह वेतन पर चिकित्सक बिडिंग के माध्यम से मात्र आठ घण्टे के लिये नियुक्त किये जा रहे हैं और उनसे मेडिको लीगल पोस्ट-मार्टम इत्यादि कार्य नही लिये जाने का नियम भी प्रख्यापित किया गया है, जब कि लोक सेवा आयोग से चयनित नवनियुक्त चिकित्साधिकारियों को मात्र 60 से 70 हजार प्रतिमाह वेतन प्रदान किया जाता है और उनसे दिन रात मेडिको लीगल कार्य सहीत सभी राश्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के सम्पादन में कार्य लिये जाते है। यदि राज्य की चिकित्सा सेवायें इसी प्रकार दोहरी व्यवस्था के तहत चलाया जाना जनहित में है तो सभी सेवारत-सदस्य चिकित्सक, सेवा मुक्त होकर उक्त संविदा नियमों के तहत पारितोशित स्वरूप रूपये ढाई लाख प्रतिमाह के वेतन पर कार्य करने के लिये तैयार है।
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