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शिक्षक दिवस विशेष :: सेवानिवृत्ति के बाद भी जला रहे हैं शिक्षा की अलख फिरंती राम

02 वर्ष पूर्व हुए सेवानृवित्त , पर अभी भी उसी विद्यालय में जा कर पढ़ाते है 
नंदाव/आजमगढ:: जब जज्बा कुछ कर दिखाने की हो तो उम्र की सीमा नहीं होती है ऐसे ही कुछ लोग हमारे देश में मिसाल है। देश में आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे फरिश्ते हैं जिन से काफी कुछ सीखा जा सकता है। ताजा उदाहरण मोहम्मदपुर विकासखंड के अषाढा प्राथमिक विद्यालय पर सेवानिवृत्त अध्यापक फिरंती राम का है जो 13 अगस्त 1975 में बतौर अध्यापक नियुक्त हुए थे और लम्बी सेवा अवधि के बाद 31 मार्च 2016 को सेवानिवृत्त हुए। लेकिन उसके बावजूद आज भी वह उसी विद्यालय में बच्चों के बीच में उनको अपना गुरु ज्ञान देते हैं। बड़ा कौतूहल का विषय है कि आज ऐसे कुछ लोग हैं जो ड्यूटी के समय भी अपना कार्य सही नहीं करते हैं। वहीं पर वह एक मिसाल हैं। जिस प्रदेश में शिक्षकों की कमी है वहीं पर अषाढा के प्राथमिक विद्यालय पर सेवानिवृत्त अध्यापक फिरंती राम से शायद लोगों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। ठेकमा विकासखंड के अंतर्गत बेलऊ गांव में दो जनवरी 1954 को जन्मे फिरंती राम पुत्र पलझन पिता ने खेती बारी का काम करते हुए भी इनको इंटरमीडिएट की पढ़ाई कराई और उसके बाद बीटीसी भी फिरंती राम ने किया। आज इनके पढ़ाए हुए लोगों में कुछ ज्यादातर पुलिस कर्मी हुए,पीसीएस अधिकारी तक बन चुके हैं जो अपनी सेवा दे रहे हैं। इतना ही नहीं फिरंती राम का जज्बा आज भी वही है जो वह ड्यूटी के दौरान जैसे बच्चों को पढ़ाते थे वैसे ही आज भी वह उनके बीच जाकर बिना पैसे की शिक्षा की अलख जगा उसी विद्यालय में प्राथमिक बच्चों को गुरु ज्ञान दे रहे है। देश की आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी देश में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें सलाम करना तो बनता ही है जिस तरीके से एक मिसाल फिरंती राम ने बनाई है। वहीं पर बच्चों में घुलने मिलने की आदत भी उनकी हो चुकी है वह घर पर बैठना नहीं चाहते वह सोचते हैं कि जब तक हाथ पैर चल रहे हैं तब तक बच्चों के बीच में ही उनको गुरु ज्ञान देना ही अपने जन्म का वह फल समझते हैं।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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