आजमगढ़। केंद्र सरकार द्वारा एससी एसटी एक्ट को प्रभावी बनाये जाने से नाराज अखिल भारतीय हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान जिलाध्यक्ष ने डीएम कार्यालय से सटे रिक्शा स्टैंड के पास आत्मदाह की कोशिश की। चुंकि पुलिस पहले से सर्तक थी जिसके कारण कोई अनहोनी नहीं हुई और जिलाध्यक्ष को हिरासत में लेकर पुलिस कोतवाली चली गयी। शाम तक कोतवाली के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा रही । बता दें कि मोदी सराकर द्वारा एससी एसटी एक्ट में किये गये बदलाव से सवर्ण संगठनों में नाराजगी है। एक्ट में किए गए बदलाव को वापस लेने तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कायम रखने की मांग को लेकर लंबे समय से विरोध प्रदर्शन हो रहे है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा द्वारा 27 अगस्त को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज मांग पूरी न होने पर पांच सितंबर को आत्मदाह की चेतावनी दी गयी थी। चेतावनी के देखते हुए पुलिस पहले से ही सर्तक थी। कलेक्ट्रेट व आसपास के क्षेत्र में भारी फोर्स तैनात कर दी गयी थी। इसी बीच दोपहर करीब 12 बजे कप्तानगंज थाना क्षेत्र के बनकट जगदीश निवासी व अखिल भारतीय हिंदू महासभा के जिलाध्यक्ष विनीत रंजन दुबे पुत्र राजकुमार दुबे के नेतृत्व में कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए रिक्शा स्टैंड पहुंचे। कार्यकर्ताओं ने एससी एसटी एक्ट, पुलिस प्रशासन तथा केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू की तो पुलिस सर्तक हो गयी। इसी बीच जिलाध्यक्ष विनीत रंजन ने अपने उपर केरोसिन आयल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। जैसे ही उसने केरोसिन तेल का डिब्बा हाथ में लिया मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने विनीत से केरोसिन का डिब्बा छीन लिया और उन्हें हिरासत में ले लिया। कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष को हिरासत में लेने का विरोध किया तो पुलिस उन्हें लेकर सीधे कोतवाली चली गयी। कोतवाली में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पियूष कांत वर्मा सहित कई नेता पंहुचे । दोनों पक्षों में वार्ता जारी है। जिलाध्यक्ष का कहना है कि इस एक्ट के नाम पर पहले ही सवर्णो का उत्पीड़न होता रहा है। फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर धन की वसूली की जाती है। यही वजह थी कि इस एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला दिया गया कि सीओ की जांच के बाद ही गिरफ्तारी की जाय लेकिन कुछ नेताओं के दबाव में केंद्र सरकार ने कोर्ट के फैलने को पलट दिया और इस कानून को पहले की अपेक्षा और कठोर कर दिया। इसके बाद से दूसरी जातियों का उत्पीड़न और बढ़ा है। केंद्र सरकार जब तक अपना फैसला नहीं बदलती है हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
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