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'जय हो डेमोक्रेसी' के प्रदर्शन के साथ सम्पन्न हुआ ओमपुरी को समर्पित फिल्म फेस्टिवल


दिल को छू गईं सीमा कपूर की फिल्म 'हाट-द वीकली बाजार'  

आजमगढ़:राहुल प्रेक्षागृह में अभिनेता स्व. ओमपुरी की स्मृति में आयोजित प्रथम आजमगढ़ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का शुक्रवार को जय हो डेमोक्रेशी के प्रदर्शन के साथ समापन हो गया। अंतिम दिन फेस्टिवल में शामिल हुई स्व. ओमपुरी की पत्नी एवं मशहूर फिल्म और टीवी सीरियल निर्माता सीमा कपूर सबके आकर्षण का केंद्र रहीं। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर रंगकर्मी अभिषेक पंडित ने सभी का आभार व्यक्त किया। अंतिम दिन सीमा कपूर की फिल्म हाट द विकली बाजार का प्रदर्शन किया गया। उन्होंने इस फिल्म की कहानी पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस फिल्म में दिव्या दत्ता, यशपाल शर्मा, मुकेश तिवारी, अर्चना पूरन सिंह आदि ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म राजस्थान के दलित आदिवासी समुदाय में जारी नाता प्रथा पर आधारित है। जो मर्दों को औरतों की खरीद बिक्री का अधिकार देती है। फिल्म इस स्त्री विरोधी परंपरा के खिलाफ एक सिनेमाई पहल कदमी है। इस दौरान सीमा कपूर ने फिल्म की समाप्ति के बाद दर्शकों से बात की और उनके अंदर के कौतूहल को भी शांत किया।
जय हो डेमोक्रेशी के बारे में बात करते हुए निर्देशक रंजीत कपूर ने कहा कि यह फिल्म उनके लोकप्रिय नाटक ‘एक संसदीय समिति की उठक बैठक’ का ही विस्तार है। जिसमें ओमपुरी, आदिल हुसैन, सीमा विश्वास, अन्नू कपूर, सतीश कौशिक, मुकेश तिवारी आदि ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह एक कॉमेडी फिल्म है जो आज की संसदीय राजनीति पर कटाक्ष करती है।
शुक्रवार की सुबह फिल्म समारोह की शुरूआत स्कूली बच्चों के लिए विशेष शो से हुई। जिसमें गीतांजली सिन्हा की फिल्म ‘यो खुला आसमान’ दिखाई गई। दोपहर का शो स्त्री मुक्ति को समर्पित था जो खासतौर से महिलाओं के लिए आयोजित किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर रंगकर्मी अभिषेक पंडित ने सभी का आभार व्यक्त किया।
आज का सिनेमा का दौर अपनी चरम क्रांति पर है। दर्शक समझदार हो चुका है, अच्छे विषय की नेक नियति से लिखी और बनाई गई फिल्मों को दर्शक मिल रहे हैं। आज फिल्म मेकिंग का दौर काफी हद तक बायोपिक पर स्थापित हो गया है। लेकिन बायोपिक को सिनेमा के बाजारीकरण में बेचने के लिए काफी हद तक उस व्यक्ति विशेष की जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं में फिल्मी फ्लेवर दिया जा रहा है। उक्त बातें फिल्म लेखन के महारथी रंजीत कपूर ने शुक्रवार को राहुल प्रेक्षागृह में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भाग लेने जनपद पहुंचे रंजीत कपूर ने कहा कि बायोपिक फिल्मों में वास्तविक संदेश जनता तक पहुंचे इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का डिजिटल माध्यम एक बड़ी फिल्म और सिनेमा क्रांती के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। जो अपने साथ कई सारी चुनौतियां लिए है तो बहुत सारी संभावनाएं भी साथ लिए है। सार्थक सिनेमा, कला सिनेमा, पैरेलल सिनेमा को फिल्मों के डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन का बहुत फायदा हो रहा है और भविष्य में भी होगा। क्योंकि अब डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से आर्ट फ़िल्में दर्शकों तक पहुंचने लगीं हैं।
वेब सीरिज के दौर पर बात करते हुए रंजीत कपूर ने कहा कि अभिनेत्री सनी लीओन की जीवन यात्रा पर बनाई उनकी बेटी की वेब सीरीज की सफलता अपने चरम पर है। बोले वह हमेशा सामाजिक सरोकार से जुड़ी फिल्में लिखते हैं और सिनेमा को समाज सुधार का माध्यम मानते हैं। प्रेसवार्ता में फिल्म एवं टीवी सीरियल लेखिका, निर्माता और स्व. ओमपुरी की पत्नी सीमा कपूर ने कहा कि अगर हम सिनेमा निर्माता, लेखक जागरूक होकर संवेदनशील मुद्दों पर काम करे, सिनेमा बनाए और उसको जन-जन तक पहुचाए तो निश्चित ही सिनेमा निर्माण सामाजिक सरोकार से जुड़ेगा और वास्तविक सिनेमा से समाज में सुखद परिवर्तन होगा।
ऐसे फिल्म फेस्टिवल इस तरह के फिल्मों के निर्माण और ऐसी सार्थक फिल्मों के दर्शकों को अपने तक लाने में सफल होंगी। आजमगढ़ जो की कैफ़ी साहब का शहर है, अभिनेत्री शबाना आजमी का शहर है, तो इस शहर में इस तरह का फिल्म फेस्टिवल अपने आप में अलग महत्व की बात है।
लौट रहे हैं सार्थक फिल्मों की ओर : यशपाल शर्मा
आज व्यावसायिक फिल्मों को सिनेमा हॉल मिल जाते हैं लेकिन सार्थक फिल्मों को नहीं मिलते हैं बावजूद इस के सिनेमा सार्थक फिल्मों की ओर बढ़ रहा है। सलमान, अमिताभ, अक्षय कुमार और आमिर खान भी आज इस ओर जा रहे हैं। बजरंगी भाईजान, दंगल, ट्यूबलाईट, पिंक, टायलेट एक प्रेम कथा, पैडमैन, तारे जमीं पर इसके उदाहरण हैं। ये बातें फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा, अभिनेत्री और निर्देशक प्रतिभा शर्मा और निर्देशक पवन शर्मा ने राहुल प्रेक्षागृह में पत्रकार वार्ता में कहीं।
राहुल प्रेक्षागृह में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में गुरुवार को फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा की फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। फेस्टिवल में भाग लेने पहुंचे यशपाल शर्मा, उनकी पत्नी प्रतिभा शर्मा और फिल्म करीम मोहम्मद के निर्देशक पवन शर्मा गुरुवार को पत्रकारों से मुखातिब थे। यशपाल शर्मा ने कहा कि जॉनी जॉनी यस पापा, दास कैपिटल, जान मोहम्मद आदि ऐसी फिल्में हैं, जो समाज के लिए जरूरी हैं।
व्यवसायिकता के दौर में ये फिल्में आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। वजह कि व्यावसायिक फिल्मों को सिनेमा हॉल आसानी से मिल जाते हैं लेकिन सार्थक फिल्मों के साथ ऐसा नहीं होता है। डिजिटल सिनेमा ने इसमें जबरदस्त क्रांति की है। अब ऐसी फिल्में डिजिटल सिनेमा पर आसानी से देखी जा सकती हैं।
आजमगढ़ में इस फिल्म फेस्टिवल के आयोजन से मुझे आशा है कि कुछ अच्छा होगा। जॉन मोहम्मद फिल्म के निर्देशक पवन शर्मा ने कहा कि डिजिटल सिनेेमा के आने से सार्थक सिनेमा में जबरदस्त क्रांति आई है। सारे कामर्शियल फिल्म बनाने वाले एक दिन इस ओर लौटेंगे, जिसकी शुरूआत भी हो चुकी है।
अभिनेत्री और निर्देशिका प्रतिभा शर्मा ने कहा कि मैं हमेशा से महिला प्रधान फिल्में बनाती आई हूं। जिला बाई फिल्म भी महिला प्रधान है। जो आदिवासियों की लड़ाई लड़ती है। लेकिन उनकी लड़ाई से गांधी जी की याद ताजा हो जाती है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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