आजमगढ़ : नवंबर 2007 में लखनऊ सिविल कोर्ट परिसर में हुए बम ब्लास्ट के मामले में विशेष अदालत ने अभियुक्त आजमगढ़ निवासी हकीम तारिक कासमी व कश्मीर के मोहम्मद अख्तर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही इन दोनों अभियुक्तों पर अलग अलग पांच लाख 10-10 हजार का जुर्माना भी ठोंका है।. विशेष जज बबिता रानी ने करीब 105 पन्ने के अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्तों ने न सिर्फ न्यायपालिका पर हमला किया है। बल्कि भारत देश के विरुद्ध भी युद्ध करने की साजिश को अंजाम दिया है। जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। आरोप था की आजमगढ़ में रानी की सराय का रहने वाले अभियुक्त तारिक कासमी व कश्मीर निवासी मो़ अख्तर ने आतंकी संगठन हूजी के इशारे पर इस वारदात को अंजाम दिया था। . 23 नवंबर, 2007 को लखनऊ कचहरी परिसर में हुए बम ब्लास्ट के इस मामले की एफआईआर प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार मिश्रा ने थाना वजीरगंज में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक उस रोज सिविल कोर्ट परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे दोपहर एक बजकर 15 मिनट पर एक बम ब्लास्ट हुआ। जबकि परिसर के बाहर लेसा गेट के पास पार्किंग में एक साईिकल से जिंदा बम बरामद हुआ था।.जेल में बंद हकीम तारिक कासमी को लखनऊ में सजा सुनाए जाने के बाद सोमवार को तारिक के गांव में सम्मोपुर में सन्नाटा पसरा रहा। हालाकि सजा सुनाए जाने की तारीख पहले से तय होने के चलते आस पास सामान्य स्थिति रही। रानी की सराय बाजार में भी इसे लेकर कोई खास सरगर्मी नहीं रही।. गौरतलब है की सम्मोपुर गांव निवासी हकीम तारिक कासमी पुत्र रियाज 22 दिसम्बर 2007 को लापता हो गया था। दिसम्बर में ही 2007 को बाराबंकी मे एसटीएफ ने मड़ियाहूं जौनपुर निवासी खालिद के साथ ब्लास्ट का आरोपी बताते हुए गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि उस समय आजमगढ़ से ही तारिक को उठाये जाने के दावे कर नेलोपा व उलेमा कौंसिल ने काफी धरना प्रदर्शन किया था। तारिक यहाँ पर दवाखाना चलाता था व एक मदरसे में पढ़ाता भी था। तारिक की गिरफ्तारी के बाद यूपी एसटीएफ के दावे पर सवाल के बाद बसपा शासनकाल में जांच कमेटी आर डी निमेष की अध्यक्ष्ता में गठित की गई थी। रिपोर्ट आने में छ:वर्ष लग गये। इधर बीच में उलेमा कौसिंल ने कई बार जिले में धरना प्रर्दशन किया। परिजनो ने बीच में न्यायालय पर भरोसा जताते हुए जांच की मांग की थी। मामले में खलिद मुजाहिद के साथ अब्दुल कादिर, उमर, इमरान गुरू, मुख्तार उर्फ राजू,सज्जाद के अलावा हकीम तारिक को आरोपो में शामिल किया था। जिसमे खालिद मुजाहिद की 2013 में हिरासत में मौत हो गयी थी। इधर शुक्रवार को दोषी करार दिए जाने के बाद एक बार फिर रानी की सराय थाना क्षेत्र का सम्मोपुर सुर्खियो में आ गया। सोमवार को आस पास के लोगो से जब पूछा गया तो लोग अपनी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। ग्यारह वर्ष पहले हुए थे लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद के कचहरी परिसर में सीरियल ब्लास्ट ,हालांकि लखनऊ कच्छरी में विस्फोट के बाद किसी की मौत नहीं हुई थी लेकिन अन्य जगहों पर लगभग 15 गए थे। सोमवार को कोर्ट में जिस समय सजा सुनाई, वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। इस मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेसिंग से हुई थी। ये आरोपी इस समय बाराबंकी जेल में बंद है। आरोपी डॉ. तारिक आजमगढ़ और मो. अख्तर कश्मीर रहने वाला है। इन दोनों के खिलाफ हत्या का प्रयास, आपराधिक साजिश, राष्ट्रद्रोह, एक्सप्लोसिव एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था। अदालत के फैसले के खिलाफ रिहाई मंच व हाकिम तारिक के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है।
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