आजमगढ़ :: आज पूरे पूर्वांचल में मिर्गी के झटके की बीमारी तेजी से फ़ैल रही है। क्योंकि आम तौर पर यह बीमारी जानलेवा नहीं होती इसलिए आम जनता इसे किस्मत मानकर स्वीकार कर ले रही है। शायद ही कोई गांव आजमगढ़ अथवा पूर्वांचल का बचा हो जिसमे इस बीमारी के शिकार मरीज़ न हो। आजमगढ़ स्थित लाइफ लाइन हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ अनूप कुमार सिंह ने यह बताया की आज के समय में दिमाग के कीड़े आने वाले मिर्गी के झटके की बीमारी की सबसे बड़ी वजह बन गये है। दूषित भोजन अथवा पेयजल जो कीड़ो के अंडो से संक्रमित हो जाते है , जब स्वस्थ व्यक्ति के पेट में पहुंचते है तो उसके शरीर में फैलकर इस बीमारी का कारण बनते है। फीता कृमि नामक यह कीड़ा प्रभावित सूअर एवं मनुष्य के पेट में रहता है एवं उसके अण्डे उनके शौच में निकलते है। दुर्भाग्यपूर्ण है की खुले में शौच की प्रवृति के कारण यह अण्डे, सब्जियों अथवा पानी के साथ स्वस्थ व्यक्ति के पेट में पहुंच जाते है। शरीर में पहुँचने के बाद खून की नसों के द्वारा ये पूरे शरीर में फैलते है एवं जब ये मस्तिष्क में पहुंचते है तब मरीज को मिर्गी के झटके आने लगते है। डॉ अनूप ने हमें यह बताया की इस बीमारी के प्रकोप का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है की आज उनके पास आने वाले एक तिहाई मरीज़ इसी बीमारी के है। इतना ही नहीं बल्कि वायरल बुखार , पीलिया , टायफाइड , बच्चो के वजन का न बढ़ना , दस्त एवं हैज़ा सम्बंधित बीमारियों खुले में शौच करने की वजह से ही फ़ैल रही है। विश्व स्वस्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर लोग भारत में खुले में शौच करना बंद कर दे तो गॉंवो में रहने वाले प्रति परिवार सालाना लगभग दस हज़ार रुपयों की बचत कर सकेंगे जो धन वो पूरे वर्ष इलाज पर खर्च करते है। इस अवसर पर मौजूद डॉ एल जे यादव एवं डॉ दीपक पांडेय जो की जिले के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ है उन्होंने हमें यह बताया की बच्चो की 75 प्रतिशत बीमारिया खुले में शौच करने वाले लोगो के कारण फ़ैल रही है i फिर चाहे वह उल्टी दस्त , बुखार , कमजोरी , वजन का न बढ़ना , पीलिया अथवा मिर्गी का झटका हो i लाइफ लाइन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ पीयूष कुमार सिंह एवं डॉ गायत्री कुमारी ने पूरे पूर्वांचल की जनता से यह अपील किया की खुले में शौच एक सामाजिक बुराई नहीं बल्कि सामाजिक अपराध है और इसे तुरंत बंद होना चाहिए साथ ही साथ सामाजिक लोगो प्रसाशन से अपील की वह भी इस विषय पर खुली अपील करे।
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