निज़ामाबाद/ आजमगढ़। जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष श्रद्धा पंकज जी महाराज का हेलीकॉप्टर प्रातः 10:30 बजे जय गुरुदेव आश्रम खानपुर हेलीपैड पर उतरा श्रद्धालुओं ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया। महापुरुष समदर्शी होते हैं जो मानव धर्म और कर्म के संदेश देते हैं महापुरुष और उनके संगत महिमा को बताया संगत में कभी किसी कौम और मजहब की निंदा चुगली नहीं की जाती है प्रभु से मिलने का इश्क और प्यार पैदा किया जाता है सत्संग जल का प्रभाव है की कौवा हंस बन जाता है मनुष्य शरीर ईश्वर का बनाया हुआ सच्चा मंदिर है इसके अंदर वह मालिक स्वयं बैठा हुआ है इसमें दोनों आंखों के मध्य भाग में रूह यानी जीवात्मा की बैठक है चरित्र ही मानव जीवन की पूंजी है यह जगत स्वप्न के समान है मनुष्य खाली हाथ आया है और जाते समय यहां की कोई वस्तु साथ नहीं ले जाती है। सभी संतो फकीरों ने बताया कि प्रभु इसी मनुष्य शरीर में मिलता है वह आज तक ना तो किसी को बाहर मिला और ना ही मिलेगा इसके लिए गुरु की जरूरत होती है। मनुष्य को सच्चे महापुरुष की खोज करनी चाहिए जब भाग से व्यक्ति को अपने जीवन में सतगुरु मिल जाते हैं तो वह प्रभु से मिलने का भेद बताते हैं उनके बताए हुए रास्ते पर चलने से जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है बाबा जयगुरुदेव जी की महाराज ने करोड़ों लोगों को सूरत शब्द योग नाम योग की साधना में लगाया और जीवो पर अच्छे संस्कार डाले उक्त बातें बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पंकज जी महाराज ने खानपुर आश्रम पर आयोजित संगत में कहीं उन्होंने कहा कि अपने यहां जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन की कहावत प्रचलित है जीव हिंसा बहुत बड़ा पाप है जब हम आप किसी को बना नहीं सकते तो उसे मिटाने यानी मारने का अधिकार नहीं है। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने अच्छे समाज के निर्माण के लिए आध्यात्मिक वैचारिक क्रांति का सूत्रपात किया जिसका मूलाधार शाकाहार भोजन का सेवन करना एवं बुद्धि नाशक नशीले पदार्थों के उपयोग से बचना है। बाबा जी ने मानव जाति से शाकाहार अपनाने की अपील किया था यदि सभी लोग उनके अनुरोध को स्वीकार कर ले तो देश और दुनिया में अमन चैन आ जाएगा सभी युगों में भगवान से मिलने का एक ही नियम रहा है जय गुरुदेव नाम अनामी महाप्रभु का है कलयुग में प्रभु से मिलने के तीन साधन ध्यान भजन और सुमिरन है जिस प्रकार जब हम संस्कार की वस्तुओं को याद करते हैं तो वही स्वपन में भी दिखाई देते हैं ठीक उसी प्रकार संस्कार की वस्तुएं याद ना आए इसके लिए हमें प्रभु का सुमिरन करना चाहिए कलयुग में जय गुरुदेव नाम के ही प्रभु का दर्शन होगा यदि सुमिरन नहीं करेंगे तो रूहानी साधना में भटक जाओगे मनुष्य को अपनी अस्ति और शक्ति का ज्ञान तब होता है जब सुरत शब्द के अभ्यास से जीव शरीर से अलग होना सीख लेता है अच्छे संस्कार केवल डिग्री लेने से नहीं पड़ा करते हैं यदि ऐसा होता तो आज इतना अधिक लोग वृद्धाश्रम और अनाथालय में नहीं होते। बच्चे देश का भविष्य होते हैं उन्हें अच्छे संस्कार डालने की जरूरत है महापुरुष के संसर्ग में ही अच्छे संस्कार पढ़ते हैं इसलिए बच्चों को सत्संग में साथ लाना चाहिए अंगुलिमाल जैसे डाकू महापुरुष के संपर्क में आने से महात्मा बन गए सभी लोगों को शाकाहार सदाचार के प्रचार में लगे रहना चाहिए अपना एक निशाना गुरु और गुरु दरबार का रखना चाहिए अंत में उन्होंने 25 से 29 जुलाई 2018 तक गुरु पूर्णिमा सत्संग में जय गुरुदेव आश्रम मथुरा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इस अवसर पर जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के महामंत्री रामकृष्ण यादव, मंत्री विनय कुमार सिंह, जय गुरुदेव संगत उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष संत राम चौधरी, संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक व कार्यक्रम के संयोजक सतीशचंद्र व राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम, संस्था के प्रबंधक समिति के सदस्य मृत्युंजय झा, जीतू भाई ,आर पटेल, ऋषि देव श्रीवास्तव, आजमगढ़ संगत के अध्यक्ष राम चरण यादव व अन्य सदस्य प्रहलाद यादव, डॉक्टर जे पी यादव, सुरेंद्र मिश्रा, लईक अहमद, जुल्मी पांडे, सुरेंद्र मिश्रा, संतोष यादव आदि सहित लोग उपस्थित रहे।
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