आजमगढ़ :: हथिया और बाग़ लखरॉव ग्रामवासियों ने तमसा बचाओ आन्दोलन के बैनर तले लम्बे संघर्ष के उपरान्त पुल बनने की दूसरी वर्षगांठ पर केक काटकर विजय दिवस की खुशियां मनाई। हथिया पुल पर आयोजित कार्यक्रम में तमसा बचाओ आंदोलन के बैनर तले अपने संकल्प और संघर्ष के बल पर अपनी मूल समस्या पर विजय पाने के लिये हथिया और बाग़ लखराव ग्रामवासियों को बधाई देते हुए तमसा बचाओ आंदोलन के संयोजक डा0 सुजीत भूषण ने कहा कि आज़मगढ़ नगर के विस्तार का पूर्वी द्वार और पश्चिमी द्वार समझे जाने वाले इन महत्वपूर्ण पुलों के लिये सन् 2009 से 2016 तक तमसा बचाओ आंदोलन के बैनर तले रोमांचकारी जन आंदोलन चलाया गया। सुनीता उपाध्याय ने कहा कि इस दौरान दो बार लखनऊ में धरना प्रदर्शन, अमरूद पार्टी, दूध पार्टी और "पुल नहीं तो वोट नहीं" चर्चित घटनाक्रम रहे। किन्तु इन पुलों के बनने का रास्ता तब बना जब इन गांवो ने मत बहिष्कार की चेतावनी दी और उस पर अडिग रहे। नजीर अहमद मंसूरी ने कहा कि सन् 2012 के विधान सभा चुनाव में मतदान के दिन हथियावासियों ने अपनी बेमिसाल संकल्प शक्ति का परिचय देते हुए मतदान न करके बूथ पर "पुल नहीं तो वोट नहीं" का बैनर लेकर प्रदर्शन करते रहे। उम्मीदवारों और जिला प्रशासन के द्वारा कई बार आश्वासन देने पर शाम चार बजे से मतदान में हिस्सा लिया। प्रमोद सोनकर ने कहा कि बाग़ लखराव ग्रामवासियों ने 2014 के लोक सभा चुनाव में पुल नही तो वोट नहीं का संकल्प लिया किन्तु मतदान के 4 दिन पूर्व तत्कालिक लोक निर्माण मंत्री मा0 शिवपाल यादव ने गांव में आकर पुल निर्माण की घोषणा और फ़ोन पर अपने मातहतों को चुनाव बाद पुल निर्माण शुरू करने का आदेश दिया। रूदल सोनकर ने कहा कि चुनाव के उपरान्त सदर विधायक और केबिनेट मंत्री मा0 दुर्गा प्रसाद यादव ने दोनों पुलों का प्रस्ताव शासन में भेजा और पुल बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस अवसर पर श्यामा देवी, माया देवी, राजेंद्र कुमार,मुन्ना निषाद,गोपाल निषाद, विक्रम, प्रभुनाथ, अमरजीत निषाद, सागर निषाद, बाबा, यश, शिवा, मुन्नी, लौटन आदि उपस्थित रहे।
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