रानी की सराय/आजमगढ़:: महापडिंत राहुल सांकृत्यायन की 125 वीं जयंती उनकी जन्म स्थली पंदहा में सोमवार को मनाई गयी। इस अवसर पर महापंडित की प्रतिमा पर जहां माल्यापर्ण किया गया वहीँ 'राहुल जी का अवदान' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानो ने विचार व्यक्त किये। वक्ताओ ने कहा राहुल जी के विचार आज भी प्रासंगिक है। आवश्यकता है उन्हें जीवन के मूल्यो में अवतरण करने की। प्रगति लेखक संघ,इप्टा,प्रारम्भिक शिक्षक संघ,रमानंद सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा,स्मृति मंच के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस संगोष्ठी में मुख्य रूप से राहुल जी की पुत्री जया सांकृत्यायन ने अपने सम्बोधन में जहा महान यायावर की जन्म स्थली को नमन किया, वही इस मिट्टी से अपने जुड़ाव को भी उकेरा। उन्होंने कहा कि इसी मिट्टी में महा पंडित राहुल जी ने जन्म लिया और फिर अपने घुमक्कडी जीवन यात्रा में कृत्यो को अपनी लेखनी के माध्यम से प्रस्तुत किया। आवश्यक्ता है कि कृत्यो को अपनाएं यही सच्ची श्रद्वाजंली होगी। जया द्वारा राहुल जी के जीवन वृत्त पर लिखी जा रही पुस्तक के शीघ्र ही प्रकाशित होने की उम्मीद जताई गयी । गोष्ठी में कथाकार प्रियदर्शन मालवीय ने कहा की राहुल जी में धर्म दर्शन,शास्त्रसाहित्य,पुरातन को समझने परखने की विलक्षण प्रतिभा थी। वे जहां गये वहा देखा परखा, ज्ञान अर्जन किया और फिर उसे लेखनी में दिया। इस अवसर पर विभूति नारायण राय ने कहा की राहुल जी एक साथ कई विषयो पर अध्ययन करते थे। उनमें अद्भुत क्षमता थी देखने और जाननें की तभी तो अपने अनुभवों को साहित्य में पिरोया। कार्यक्रम में इप्टा के बैधनाथ यादव ने गीत प्रस्तुत किया । मौके पर बिक्रम सिंह,राजाराम सिंह,हरमंदिर पाण्डेय,राजीव सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किया । कार्क्रम की अध्यक्षता विनय कुशवाहा और संचालन डा. संजय ने किया।
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