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पशुओं में 'ग्लैण्डर्स व फार्सी' बिमारी पर चिकित्सकों व पशुधन अधिकारियों का प्रशिक्षण सम्पन्न


आजमगढ़ :: मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ0 वी0के0 सिंह ने बताया है कि 27 मार्च को पशुपालन विभाग द्वारा विकास भवन के सभागार मे एक दिवसीय ग्लैण्डर्स व फार्सी के सम्बन्ध मे विभाग के पशु चिकित्साधिकारियों व पशुधन प्रसार अधिकारियों का प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। जिसमे ग्लैण्डर्स व फार्सी बीमारी के बारे मे विधिवत जानकारी दी गई। बताया बया कि यह बीमारी खासतौर पर अश्व कुल से जुड़ी है। डा0 अतुल कुमार अवस्थी ने ग्लैण्डर्स व फार्सी के बारे मे बताया कि यह बीमारी विशषतः घोड़ा, खच्चर, गधा आदि मे पायी जाती है जिसमे गधे मे सबसे अधिक बीमारी देखने को मिलती है। बीमारी से ग्रसित पशु दो से तीन सप्ताह मे ही मर जाता है। सम्पर्क मे आने पर कुत्ता एवं बिल्ली को भी यह बीमारी अपने चपेट मे ले सकती है। रोग जूनोटिक प्रकृति का होने के कारण अस्तबल मे काम करने वाले पशु चिकित्सक, मृत पशुओं की खाल उतारने वाले तथा प्रयोगशाला मे काम करने वाले मनुष्यों मे फैल सकता है। मनुष्य के लिए बेहद घातक बीमारी है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बीमारी के लक्षणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शरीर पर गांठे, नाक से गाढ़ा स्राव, पैर पर गांठे एवं फोड़े, सांस लेने मे तकलीफ,उच्च ज्वर, नाक से मिला स्राव एवं छाले होने लगते हैं। इस बीमारी की कोई वैक्सिन नही तैयार हुई है और न ही ईलाज है। उन्होने जनपद के सभी पशु चिकित्सकों एवं अन्य अधिकारियों को अपने कार्य क्षेत्र अन्तर्गत नियमित रूप से ग्रामो मे इस बीमारी का संरक्षण करने एवं प्रयोगशाला मे जांच हेतु सीरम सैम्पल भेजने का निर्देश दिया है, साथ ही साथ यह भी निर्देश दिया कि इस बीमारी के सम्बन्ध मे अश्व प्रजाति के पालकों को जागरूक किया जाए तथा जांच आदि का कार्य जिम्मेदारी एवं सावधानीपूर्वक करने का निर्देश दिया गया है। इस अवसर पर सभी पशु चिकित्सक एवं पशुधन प्रसार अधिकारी उपस्थित थे। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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