सीओ सिटी के प्रयास से मामला सम्भला,चार घंटे बाद खत्म हुआ जाम
आजमगढ़ :: रोडवेज के बाहर रिहायशी क्षेत्र में प्रेशर हार्न बजाने से मना करने पर हुए मामूली विवाद में रोडवेज के कर्मचारी उग्र हो गए और मना करने वाले के साथ मारपीट हुई । इतना ही नहीं इसके साथ ही उन्होंने आजमगढ़-लखनऊ राजमार्ग पर बसों को खड़ा कर सड़क जाम कर दिया । इस दौरान रोडवेज कर्मियों ने नारेबाजी करते हुए पत्रकार के घर चढ़ कर गाली गलौज भी किया । मौके पर पंहुची पुलिस के समझाने और तहरीर लेने पर रोडवेज कर्मचारियों ने चार घंटे बाद जाम समाप्त किया। पूरे घटनाक्रम में यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। पुलिस ने दोनों पक्षों की तरफ से तहरीर ले ली है। मान्यता प्राप्त पत्रकार व समाजवादी पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी एसके सत्येन का घर रोडवेज के सामने स्थित है। नया रोडवेज निर्माणाधीन होने की वजह से रोडवेज बसें सड़क पर ही खड़ी होती हैं और वहीं पर सवारियां उतारती- चढ़ाती हैं। शुक्रवार की सुबह रोडवेज की बस उनके घर के बाहर खड़ी होकर लगातार प्रेशर हार्न बजा रही थी। इसी बीच पत्रकार के बड़े भाई विजय घर के बाहर निकले और चालक को हार्न न बजाने को कहा। इसी बात को लेकर बस परिचालक कमलेश सिंह विवाद करने लगा और मामला हाथापाई तक पंहुच गया । आसपास के लोगों ने दोनों को अलग किया। विजय तो घर में चले गए लेकिन कुछ ही देर बाद कमलेश बड़ी संख्या में रोडवेज कर्मचारियों के साथ वहां पहुंचा और पत्रकार सत्येन का नाम ले गालियां देने लगा। इसके साथ ही कर्मचारियों ने बसों को सड़क पर आड़ा-तिरछा खड़ा कर जाम लगा दिया गया। हंगामा कर रहे रोडवेज कर्मियों के जाम को हटवाने में सीओ सिटी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, उन्होंने कानून व्यवस्था का हवाला दे चेतावनी दी तब जा कर जाम समाप्त हुआ । ऐसे यह सर्व विदित है की नए रोडवेज भवन के निर्माण के दौरान सभी बसें बाहर सडकों पर कड़ी कर सवारियां लादी जाती हैं जिससे दिन भर जाम तो रहता ही है साथ ही भारी शोर शराबा रहता है जिसके चलते स्थानीय निवासी पीड़ित रहते हैं। रोडवेज कर्मचारियों के दबाव में पुलिस ने उनके पक्ष से सत्येन के साथ ही उनके भाई और पांच अज्ञात पर मुकदमा पंजीकृत किया था । वहीँ सत्येन पक्ष की तहरीर भी पुलिस ने स्वीकार कर लिया है। विवाद का कारण चाहे जो भी हो और दोनों पक्ष कोई भी हो सवाल यह उठता है की अगर सड़क जाम करने में आम लोगों के खिलाफ फटाफट मामला दर्ज हो जाता है तो फिर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने पर इन लोगों मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा है।
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