हाफिजे मिल्ल्त सच्चे देशभक्त थे,उनके विचारों को अपनाये - ओबैदुल्लाह खान आजमी मौलाना हजरत सरबराहे आला अब्दुल हफीज साहब के नेतृत्व में निकला चादर जुलूस मुबारकपुर/आजमगढ़। रेशमी नगरी मुबारकपुर में जहाँ इस्लामी जगत की प्रसिद्ध शिक्षा संस्था अरबी अल जामेअतुल अशरफिया मुबारकपुर के संस्थापक एवं महान सूफी संत हजरत हाफिज ए मिल्लत मौलाना शाह अब्दुल अजीज साहब मुरादाबादी के 43 वें उर्स पाक एवं जलसा दस्तार बन्दी सालाना दो रोजा उर्स शनिवार से आरम्भ हुआ। जहाँ लाखों जायरीन से पूरे क्षेत्र में रौनक है और हर तरफ हफीज ए मिल्लत जिन्दाबाद की सदायें गूंज रही है। मजहबी रंग में डूबे रेशमी नगर मुबारकपुर कस्बा में जायरीनो की आमद लगातार हो रही। जिसमे देश विदेश के लाखों जायरीनों की कसरत ने फ़िज़ां को रूहानियत से सरोबार कर कर दिया। यह पूरा क्षेत्र मिल्लत मय हो उठा है और हर तरफ हाफिज ए मिल्लत के नारों की सदाएं गूंज रही रही है। रात के जलसे में सम्बोधन करते हुए प्रसिद्ध धार्मिक मौलाना व पूर्व राज्य सभा सांसद मौलाना ओबैदुल्लाह खान आजमी ने हजारों जायरीनों से खिताब करते हुए कहा कि हाफिज ए मिल्लत के विचारों को जन जन तक पहुंचाए क्यों कि वह सच्चे देश भक्त थे और हिन्दू मुस्लिम के एकता के प्रतीक थे। उन्होंने कहाकि आज अशरफिया तरक्की कर रहा है। पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह खान आजमी ने कहाकि जब जब मुल्क को विदेशी ताकतों से खतरा हुआ तो देश के हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई ने मिल कर लड़ाई लड़ी है। परन्तु आज देश में कुछसंगठन आपस में लड़ाने का कार्य कर रहें है, मगर देश की जनता ऐसे लोगों को सफल नहीं होने देगी। इस अवसर पर अशरफिया के कुलपति मौलाना अब्दुल हफीज साहब ने भी सम्बोधन किया और आये हुए जायरीनों को धन्यवाद दिया । जलसे को मौलाना यासीन अख्तर मिस्बाही दिल्ली, मौलाना इदरीस बस्तवी, मौलाना मुबारक हुसैन मिस्बाही, मुफ़्ती अब्दुल हक आदि ने भी संबोधित किया। वहीं उर्स के पहले दिन दोपहर तीन बजे हाफिज ए मिल्लत के पुरानी बस्ती से सहजादा कुलपति जामिया मौलाना अब्दुल हाफिज साहब की कयादत में जुलूसे चादर निकाली गयी जिसमें सुरक्षा के लिए भारी फ़ोर्स आगे पीछे चल रही थी। आयोजन के प्रथम दिवस सीओ सदर मोहम्मद अकमल खान,थानाध्यक्ष अनूप कुमार शुक्ला समेत चौकी प्रभारी कौशल पाठक व आधे दर्जन अन्य थानों की फोर्स व पीएसी के जवान चक्रमण करते रहे। जुलूस में लगभग हजारों की तादाद में लोगों की भागीदारी रही रही जो नारे लगा रहे थे। जुलूस हाफिजे मिल्लत के पुरानी बस्ती आवास से चल कर छोटी अर्जेंटी होता हुआ रोडवेज होता हुआ शाम 5 बजे अलजामे अतुल अशरफिया दरगाह पहुँच कर फातिया व दुआओं में परिवर्तन हुआ। जुलुस में अंजुमन गौसिया, एखलाकिया, हासिमया, इस्लामिया, मजहर हक आदि अंजुमनों ने भाग लेकर खेराजे अकीदत पेश किया। उर्स में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग आये हुए हैं। समाचार लिखे जाने तक जलसा दस्तार बन्दी जारी था जिसमे देश विदेश के प्रसिद्ध उल्माओं ने भाग लिया और तकरीर कर बुराइयों से दूर रहने की बात कही। उर्स में भाग लेने आये लाखों मेहमानों का स्वागत अशरफिया के नाजिम आला हाजी सरफराज अहमद अंसारी व समस्त कमेटी के लोग लगे रहे और लाखों जायरीन के खाने की व्यवस्था बिलकुल मुफ्त में चल रही है। दोपहर व रात के समय हजारों हजार लोगों को खाने की शानदार व्यवस्था देखने को मिल रही है। उर्स में सैंकड़ों कैम्प दीनी किताब व टोपी के स्टाल लगे हैं।
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