आजमगढ़। बाबा भंवरनाथ मंदिर प्रांगण में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के तीसरे दिन युवा संत प्रेम मूर्ति सर्वेश जी महाराज ने कहॉ कि मनुष्य जैसे हवा को नहीं देख सकता केवल एहसास कर सकता है ठीक उसी प्रकार प्रभु को भी देखा नहीं जा सकता और केवल उसे महसूस किया जा सकता है। अगर उसे पाना है तो उसका मात्र एक उपाय है कि सच्ची श्रद्धा भक्ति और निष्ठा व प्रेम ही है। उन्होंने कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है अगर आपको ईश्वर को पाना है तो हमें उपवास,व्रत,ध्यान योग साधना से पाया जा सकता है कथा में आगे उन्होंने मां पार्वती के जन्म की कथा को सुनाया और कहा कि आज का मनुष्य पुत्र की चाहत में महापाप का भागी बन रहा है। यह उचित नहीं है कन्या भ्रूण हत्या से बड़ा धरती पर और कोई महापाप नहीं है। मनुष्य को इससे बचना चाहिए आज की पुत्री किसी भी मायने में पुत्र से कम नहीं है और तो और सरकार का भी यही नारा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ । उन्होंने कहा कि जब पुत्री बालिग हो जाए तो उसका विवाह योग्य वर देखकर ही करना चाहिए जैसे घर,वर, कुल व खानदान अगर बेटी के अनुरूप हो तो ही पुत्री का विवाह करना चाहिए। प्रेम मूर्ती ने भगवान शिव व माता पार्वती की विवाह प्रसंग को अपने साथ आये आचार्य रविशंकर शास्त्री,शुभम, गोंडा से रवि तथा वृंदावन से पप्पू मिश्रा के साथ संगीत के माध्यम से सुनाया तो पूरा पंडाल मानो विवाह उस्तव में झूमने लगा।
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