आजमगढ़ : यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद विद्युत चोरी के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान से कांशीराम आवास में रहने वाले गरीब सांसत में फंस गये है। इनका आरोप है कि सात साल में उन्हें कभी बिजली बिल नहीं मिला और आज भेजा गया तो एक एक लोग को आठ आठ लाख का। नाराज लोगों ने उपक्रेद्र का घेराव कर प्रदर्शन किया। वहीं विभाग ने आवास में रहने वाले लोगों पर कभी बिल भुगतान न करने का आरोप लगाया। अधिकारियों ने बिजली बिल माफ करने की मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा वे किस्त बांध सकते है। आने वाले समय में नगरपालिका चुनाव को देखते हुए इसपर राजनीति भी शुरू हो गयी है। यह राजनीति कोई और नहीं बल्कि भाजपा के नेता ही कर रहे है। वे खुद इस प्रदर्शन में नजर आये। बता दें कि वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने कांशीराम आवास योजना का संचालन शुरू किया था। शहर में करीब तीन स्थानों पर आवास बनाए गये। डीएवी कालेज के पास बने आवास में करीब 696 परिवार रहते है। भवन आवंटन के समय ही यहां बिजली का कनेक्शन दिया गया और हर फ्लैट में अलग मीटर लगाया गया। करीब सात साल के दौरान किसी ने भी बिजली का बिल जमा नहीं किया। सरकार और विद्युत विभाग के लोगों ने भी कभी इसपर ध्यान नहीं दिया। लाखों रूपये बिल आने से नाराज लोग विरोध प्रदर्शन करते हुए बुधवार को रैदोपुर स्थित उपकेंद्र पहुंच गए और अधिकारियों का घेराव कर बिजली बिल माफ करने की मांग करने लगे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व भाजपा नेता व समाजसेवी दीनू जायसवाल कर रहे थे। जानकारी होने पर अधिशासी अभियंता भी मौके पर पहुंच गये। लोगों ने ज्ञापन सौप बिल माफ करने की मांग की। साथ ही विभाग पर आरोप लगाया कि उनका कनेक्शन भी काटा जा रहा है। वे इतना रूपया भरने में सक्षम नहीं है। यदि उनका बिल माफ नहीं होता है तो वे प्रतिदिन विद्युत अधिकारियों के कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करेगें ।
यूपी में योगी सरकार बनने के बाद अभियान शुरू हुआ तो बिजली विभाग ने कुछ बकायदारों की बिजली काट दी। कारण कि यहां एक एक परिवार पर सात से आठ लाख का बिजली बकाया बताया जा रहा है। विभाग का दावा है कि वह हर महीने बिल भेजता था लेकिन आवास में रहने वालों ने कभी भुगतान नहीं किया। जबकि आवास के लोग पहली बार बिल मिलने का दावा कर रहे हैं।
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