आजमगढ़ : दीवानी न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर चार की अदालत में मंगलवार को हत्या के मामले में दोषसिद्ध पाए गए दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास एवं 15-15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। घटना दीदारगंज थाना क्षेत्र की औरंगाबाद गांव में छह फरवरी 1989 को हुई थी। इस मामले में वादी मुकदमा सभाजीत पुत्र अमरजीत तिवारी का आरोप है कि उनका गांव के ही आद्या पुत्र जंत्री सिंह से भूमि विवाद चल रहा था। गत छह फरवरी 1989 की रात सभाजीत अपने पौत्र चक्रवर्ती के साथ घर के ओसारे में सोए थे। उसी दौरान विपक्षी आद्या सिंह अपने भाई रामफेर एवं पुत्रद्वय रामआसरे व चंद्रशेखर के साथ असलहे से लैस होकर उनके घर में घुस गए। विपक्षियों ने सभाजीत के पुत्र मार्कंडेय को गोली मार दी। फायर की आवाज सुनकर जब सभाजीत अपने पौत्र के साथ मौके पर पहुंचे तो हमलावरों ने उनके पौत्र चक्रवर्ती को भी गोली मार दी। गोली से घायल मार्कंडेय की मौत हो गई। जबकि चक्रवर्ती को अस्पताल में भर्ती कराया। इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष की ओर से वादी मुकदमा सहित कुल दस लोगों को बतौर गवाह न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर चार रामकिशोर ने अभियुक्त चंद्रशेखर व रामाश्रय को दोषी पाते हुए उन्हें आजीवन कारावास तथा 15 -15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इस मामले में अभियुक्त आद्या सिंह व रामफेर की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई है।
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