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शिब्ली कालेज: राष्ट्रीय संगोष्ठी में इकबाल सुहेल के व्यक्तित्व पर की गयी चर्चा


आजमगढ़। शिब्ली कालेज में रविवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जनपद के प्रख्यात कवि इकबाल सुहेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व व उनके साहित्यीक जीवन के विभिन्न आयाम पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का उदघाटन सत्र की अध्यक्षता डा. जफरूल इस्लाम खॉ, सम्पादक मिल्ली गजट नई दिल्ली एवं मुख्य अतिथि डा. सैयद जफर महमूद, चेयरमैन इकबाल ऐकेडमी और जकात फाउन्डेशन आफ इण्डिया नई दिल्ली की उपस्थित में प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत जेयाद अहमद ने तेलावते कलाम पाक से किया उसके बाद इकबाल सुहेल की मशहुर नातेपाक का नजराना मुहम्मद आसिफ रजा ने पेश किया। उसके बाद अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ पेश करके किया गया उसके उपरान्त स्वागत भाषण सेमिनार के संयोजक उर्दू विभागाध्यक्ष शिब्ली कालेज डा. शबाबुद्दीन ने पेश किया। प्रो. फजले इमाम रिज्वी इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने विचार व्यक्ति करते हुये कहा कि इकबाल सुहेल, अल्लामा शिब्ली के परवरदा थे ये सेमिनार इकबाल फहमी के लिये निश्चित रूप से आने वाली एवं मौजूदा नस्लों के लिये रास्ता खोलगा। उसके बाद जे़ड. के. फैजान, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट आफ इण्डिया व पूर्व छात्रसंध अध्यक्ष अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की इकबाल सुहेल जिसके हकदार थे वह हक उन्हें नहीं मिला इस पर हम सभी को चिन्तन एवं मनन करने कि आवश्यकता है। उसके बाद मुख्यअतिथि डा.सैयद जफर महमूद ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं मुस्लिम नौजवानों को मुखातिब करते हुये कहा की अपने सियासी मसाईल पर खुद गौर करके हल करने का प्रयास करना चाहिऐ मुस्लिम बच्चों को सिविल सर्विसेज की प्रतियोगिता में अधिक से अधिक भाग लेने के लिये प्रेरित किया। क्योंकि सिविल सर्वेन्ट ही हर फैसले में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाते है। प्रो0 अब्दुल हक दिल्ली विश्वविद्यालय ने अल्लामा इकबाल सुहेल के विभिन्न पहलुओं पर उनके शेरों के हवाले से विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। प्रो. इश्तियाक अहमद जिल्ली, डायरेक्टर शिब्ली एकडमी ने कहा कि इकबाल सुहेल को इकबाल बनाने में उनके मादरे इल्मी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बहुत बडा योगदान रहा वह एक फितरी शायर थे। शिब्ली कालेज प्रबन्धतन्त्र के अध्यक्ष रिजवान अहमद फारूकी ने भी अपने विचार रखे। डा0 जाकिर हुसैन पुर्व राष्ट्रपति अल्लामा इकबाल के सहपाठी थे और जो उनसे उनके सम्बन्ध थे उसके उपर रोशनी डाली। सेमिनार के उदघाटन सत्र के अध्यक्ष डा0 जफरूल इस्लाम खॉ ने कहा की सुहेल जितने बडे शायर थे उतने बडे वकील, लीडर और एक हस्सास इन्सान थे। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक रिबा (सूद के सम्बन्ध में) का तीन भाषाओं (अंग्रेजी, अरबी, उर्दू) में अनुवाद डा0 जफरूल इस्लाम ने किया। कालेज के प्राचार्य डा. गयास असद खॉ ने आये हुये सभी अतिथियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुये कहा कि ये सेमिनार आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम का सफल संचालन डा. अलाउद्दीन खॉ अध्यक्ष इतिहास विभाग ने किया। इस मौके पर प्रो. अबुल कलाम, डा अरशिया जबीं, डा. परवेज अहमद खॉ (काशमीर) डा. अबुसाद इस्लाही, प्रो. अली अहमद फातमी, डा. कमर इकबाल सहित भारी संख्या में कालेज के छात्र एवं छात्रायें व शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। इसके अलावा सेमिनार के संगठन सचिव नैयर इकबाल खॉ व मीडिया प्रभारी डा0 शफीउज्जमा आदि मौजूद रहे।


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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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