मुबारकपुर/आजमगढ़। इस्लामी जगत की केंद्रीय शिक्षण संस्था अलजामेअतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी मुबारकपुर के संस्थापक एवं महान प्रसिद्ध सूफी संत हाफिज ए मिल्लत मौलाना शाह अब्दुल अजीज मुरादाबादी के 42 वाँ उर्स पाक आगामी 28 फरवरी व 1 मार्च होने वाले उर्स की तैयारी जोरशोर से हो रही है। प्रदेश व क्षेत्र में विधानसभा के चुनावी माहौल देखते हुए उर्स व जलसा दस्तार बन्दी के दौरान पुलिस प्रशासन अपनी तरफ से कोई कोताही नहीं बरत रहा है और आयोजन के हर पहलू पर निगाह जमाये हुए हैं। एसपी सिटी शकील अहमद खां व सीओ सदर सच्चिदानंद ने बताया कि उर्स में शामिल होने वाली भारी भीड़ को देखते हुएयह आयोजन पुलिस की कड़ी निगहबानी में सम्पन होगा। शान्ति ब्यवस्था बनाये रखने के लिए पर्याप्त संख्या में फोर्स तैनात रहेगी जरूरत पड़ने पर जनपद में मौजूद पैरा मिलेट्री फोर्स को भी उर्स स्थल के आसपास तैनात किया जाएगा । वहीँ उर्स को देखते हुए बाहर से तरह तरह के दुकानदारों अपनी अपनी दुकानें सजाने में लगे हुए हैं। सड़कों के किनारे सैंकड़ों की संख्या में लोग अपनी अपनी दुकान लगाने में व्यस्त हैं साथ ही उर्स कमेटी भी अपनी तैयारी जोरों पर कर रही है। अलजामेंअतुल अशरफिया के कुलपति हजरत मौलाना अब्दुल हाफिज साहब एवं नाजिम ए आला प्रबन्धक हाजी सरफराज अहमद अंसारी ने बताया कि 28 फरवरी एवं 1 मार्च को दो रोजा उर्स एवं जलसा दस्तार बन्दी की तैयारी हो रही है। उन्होंने बताया कि उर्स के पहले दिन मोहल्ला पुरानी बस्ती स्थित हाफिज, मिल्लत के आवास पर बाद नमाजे फज्र कुरआन खानी से शुरू होगी और शहजादा मौलाना अब्दुल हाफिज साहब की कयादत में इनके आवास से दिन के दो बजे भव्य जुलुस निकलेगा जो नगर का गश्त करता हुआ रोडवेज चौराहा होते हुए जामिया अशरफिया स्थित उर्स गाह स्थल दरगाह पहुँच कर दुआ में परिवर्तन हो जायेगा । दूसरे दिन हाफिज ए मिल्लत के मजार पर कुरआन खानी बाद नमाजे फज्र होगी और नमाजे जोहर दो बजे हाफिज ए मिल्लत के साथ पुरानी बस्ती आवास से जुलूसे चादर उठेगा । चार बजे चादर पोशी और गुल पोशी मजार शरीफ पर होगी और रात आठ बजे जलसा दस्तार ए बन्दी और फारिग होने वाले छात्रों को उपाधि से नवाजा जायेगा। रात 11 बजकर 55 मिनट पर कुल शरीफ होगा। उर्स में आने वाली भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन भी अपने स्तर से तैयारी कर रहा है । ज्ञात होकि इस दो दिन के उर्स में देश विदेश के लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है और पूरा क्षेत्र मिल्लत मय हो जाता है। पूरा माहौल हाफिज ए मिल्लत के नारों से गूँज उठता है । इस उर्स की खासियत है कि औरतों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से पाबन्दी रहती है और आसपास के क्षेत्रों के लोगों की भारी भागीदारी रहती है।
Blogger Comment
Facebook Comment