आजमगढ़ : गुलामी के दिनों भी हम आाजाद थे-आजाद हैं आजाद ही रहेंगे, की आवाज बुलन्द करने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की पूण्य तिथि के अवसर पर आज भारत रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने नगर में स्थापित उनकी मूर्ति की साफ-सफाई तथा माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव ने कहा कि 23 जुलाई 1906 को पिता पं. सीताराम तिवारी और माँ जगदानी देवी के कोख से भावरा (म0प्र0) में जन्में चन्द्रशेखर को उनका परिवार संस्कृत का विद्धान बनाना चाहता था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि इनका जन्म पण्डिताई करने के लिए नहीं बल्कि अन्याय, शोषण के विरूद्ध संघर्ष के लिए हुआ था। सन् 1921 में जब ये 15 वर्ष के थे इन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया, जिस पर उन्हें कैद कर लिया गया। मजिस्ट्रट के समक्ष पेश होने पर इस किशोरवय बालक के जवाब- नाम- आजाद, पिता- स्वतंत्रता और निवास जेलखाना, ने अदालत को हिलाकर रख दिया था। जीवन भर अंग्रेजों के हाथ में न आने का प्रण लेने वाले आजाद 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजो से लड़ते हुए अपने प्रण को पूरा करते हुए शहीद हो गये। आजाद जी कहा करते थे भारत माँ की दुर्दशा देखकर जिसको क्रोध नहीं आता हो , उसके शरीर में खून नहीं पानी बह रहा है, उनका यह संदेश आज और भी प्रासंगिक है क्योंकि माँ भारती की अब ज्यादा दुर्दशा हो रही है। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मो0 अफजल, उमेश सिंह गुड्डू, प्रवीण गौड़, अमित गुप्ता, दुर्गेश श्रीवास्तव, पप्पू कुमार, आशीष मिश्रा, निशीथ रंजन तिवारी, अरूण यादव, धर्मवीर विश्वकर्मा, राजकिशोर सिंह, मनीष कृष्ण साहित, ज्योति प्रकाश श्रीवास्तव, राजन अस्थान, उमेश गिरी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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