आजमगढ़। त्रिशरण बुद्ध बिहार समिति ने हरबंशपुर स्थित त्रिशरण बुद्ध बिहार में बाबा साहब डा भीम राव अम्बेडकर के 60वें परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धापूर्वक श्रद्धाजंलि अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भदन्त महाकाश्यप व संचालन पंचम राम ने किया। बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये समिति के प्रबन्धक व पूर्व राज्यसभा सांसद बलिहारी बाबू ने कहाकि आज का दिन विचारणीय व अति संवेदनशील है। पं. जवाहर लाल नेहरू ने बाबा साहब अम्बेडकर के निधन के बाद 8 दिसम्बर 1957 को गांधी ग्राम के दसवें वार्षिक समारोह पर कहा था कि आज भारत में वर्ण व्यवस्था के लिए कोई स्थान नहीं है। यदि ये प्रथा बनी रही तो देश कमजोर होगा और उन्नति के पथ पर अग्रसरित नहीं हो सकेगा। श्री बाबू ने आगे कहाकि आज आजाद भारत का लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें समाज के सभी तबकों को समान अवसर प्राप्त हो। वर्ण व्यवस्था के रहते यह लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए वर्ण व्यवस्था का खात्मा करना जरूरी है। आज देश के प्रधानमंत्री से उम्मीद करते है कि सबका साथ सबका विकास का नारा साकार करने के लिए इस कार्य को पूर्ण करेंगे। समाज के बीच जात-पात की खायी को खत्म करके ही बाबा साहब को सच्ची श्रद्धाजंलि दे सकते है। पूर्व सांसद श्री बाबू ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर के अनुसार धम्म नैतिकता का मूलमन्त्र है, संसार में जो कुछ सत्य है कल्याणकारी, सुन्दर है वहीं धर्म है। किसी भी स्तर पर मानवता का हनन करने वाले व्यक्ति या समाज को धार्मिक या धर्म का हिस्सा नहीं कहां जा सकता। आज के दिन बहुसंख्यक समाज पूर्व से ही अपने मसीहा का परिनिर्वाण दिवस मनाता रहा किन्तु हाल में कुछ प्रतिक्रियावादी ताकतों के चलते एक समाज इसी दिन को शौर्य दिवस तथा अन्य लोग काला दिवस के रूप में मना रहे है। यह डा. अम्बेडकर के महत्व को कम करने की एक सुनियोजित साजिश कहा जा सकता है। अंत में शोकसभा आयोजित कर तमिलनाडू की मुख्यमंत्री जयललिता के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर गतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया। इस अवसर पर पुजारी राम, राजेन्द्र प्रसाद, ज्ञानचंद, चन्द्रदीप, सहदेव प्रधान, जगधारी बौद्ध, संजीव कुमार, सुधीर कुमार, पंचम बौद्ध, हिमांचल मौर्या, रामजीत रमन, श्रृंगारी देवी, डा.रामहित, रमाशंकर प्रसाद, सुशील कुमार आनन्द, हरिशचन्द्र सहित सैकड़ों धम्म भिक्षुओं, उपासकों, अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया।
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