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15वां आजमगढ़ पुस्तक मेला : पुस्तकों को पढ़ना अपनी दिनचर्या में शामिल करें युवा - जिलाधिरी


आज़मगढ़ 04 दिसम्बर 2016-- जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने शिब्ली नेशनल पीजी कालेज के  हाल में  आयोजित पुस्तक 15वां आजमगढ़ पुस्तक मेला के विभिन्न स्टालों पर विभिन्न प्रकार की  पुस्तको का अवलोकन किया । यह आजमगढ़ पुस्तक मेला 29 नवम्बर से 04 दिसम्बर 16 तक चला। इस आजमगढ़ पुस्तक मेला के आयोजन में विभिन्न स्थानों के प्रकाशकों जिसमें लिखी पब्लिसर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स आगरा, उत्कर्ष पब्लिसर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटस कानपुर , भारतीय ज्ञान पीठ दिल्ली, मेधा बुक्स दिल्ली, प्रतिश्रुति प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, नेशनल बुक ट्रस्ट इण्डिया दिल्ली, दारूल मुसनफीन  शिब्ली एकेडमी द्वारा विभिन्न स्टालों के माध्यम से अपनी किताबों को छात्र/छात्राओं एंव जनता के सामने प्रस्तुत किया। आजमगढ़ पुस्तक मेला के समापन अवसर पर छात्र/छात्राओं ने विचार-विमर्श में इलेक्ट्रानिक एवं वेब मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत किये तथा रचनात्मक कार्यशाला में लोकगीत-देश प्रेम की प्रस्तुति की गयी। पुस्तक मेले के समापन दिवस पर जिलाधिकारी द्वारा छात्र/छात्राओं को पुस्तकें भी  वितरित की गयी। जिलाधिकारी ने कहा कि “जब आजमगढ़ पढ़ेगा तभी बढ़ेगा“ उन्होने उपस्थित छात्र/छात्राओं से कहा आपके अन्दर जो भी जिज्ञासा है वह पूछे मै उसका उत्तर दूंगा। छात्र/छात्राओं द्वारा पूछा गया कि आईएएस बनने की स्टोरी बताये तथा नौकरी करते हुए किसी और लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकते है। इस पर जिलाधिकारी ने छात्रों को किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में  सफल होने के उपाय को बताया और कहा कि आप लोग इसे याद कर लें। जिसमें पहला मन्त्र अनुशाशन, दूसरा एकाग्रता , तीसरा स्मार्ट वर्क, चौथा आत्म विश्वास है। उन्होने कहा कि आप लोग यदि अपने जीवन में सफल होना चाहते है तो पहला मूलमंत्र डिसीप्लीन का होना बहुत जरूरी है जैसे किसी कार्य को एक निर्धारित समय पर ही करें। और कान्संट्रेशन के बारे में बताया कि आप जब भी पढ़ाई करे तो आपका पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई में ही रहें। तीसरा स्मार्ट वर्क का मतलब की आप पढ़ाई इस प्रकार से करें कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा पढ़ कर समझ लें तथा चौथा आत्म विश्वास के बारें में बताया कि आत्म विश्वास ही एक ऐसा साधन है जिसके सहारे आम जीवन के कठिन से कठिन  लक्ष्य को प्राप्त कर सकतें है। उन्होने पुस्तकों के महत्व के बारे बताया कि पुस्तकों से दोस्ती बनाये रखे यह भविष्य के निर्माण में सहायक होती है। उन्होने बताया कि पुस्तक वह माध्यम है जो किसी देश, समाज एवं इतिहास के बातों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित करती है। पुस्तकें को दोस्त समझें और पुस्तकें दुख एवं खुशी के साथी है। उन्होने आज की  युवा  पीढ़ी से कहा कि आप लोग स्वामी विवेकानन्द की किताबें भी पढ़ा करें। आज कल के युवा सिर्फ इन्टरनेट, मोबाइल में ही लगे रहते है यह भी सही है कि इस आधुनिक तकनीक के साथ अपडेट रहना जरूरी है तथा इसके साथ-साथ पुस्तकों को भी पढ़ने का दिनचर्या में शामिल करें। उन्होने कहा कि पुस्तकें  एकान्त की सहचारी है। वे हमारी  मित्र है जो बदले में हमसे कुछ नही चाहती। वे इस लोक का जीवन सुधारने और परलोक का जीवन सवांरने की शिक्षा देती है। अध्ययन चिन्तन एवं मनन में गहरा सम्बन्ध है। अध्ययन के बिना चिन्तन परिष्कृत नही होता और चिन्तन के बिना अध्ययन का मूल्य नही है। उन्होने छात्राओं को बताया कि “आप से युद्ध पहलें पसीना बहायेगे तो यु़द्ध में खुन कम बहाना पड़ेगा, यदि युद्ध से पहले पसीना नही बहायेगे तो युद्ध में खुन अधिक बहाना पड़ेगा“। इसी क्रम में  राजीव रंजन एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी देवरिया शिव वचन राम ने छात्र/छात्राओ के बीच अपने विचारों रखा। सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव की अध्यक्षता में आजमगढ़ पुस्तक मेला के समापन समारोह का आयोजन किया गया। उन्होने छात्र/छात्राओं के बीच अपने विचारों रखते हुए पुस्तकों के महत्व के बारे में बताया कि किताबें  किसी भी विचार, संस्कार या भावना के प्रचार का सबसे शक्तिशाली साधन है। पुस्तकें प्रेरणा की भण्डार होती है। उसे पढ़ कर जीवन में कुछ महान कार्य करने की भावना उत्पन्न होती है। इस अवसर पर राजीव रंजन, शिवचवन राम, साहित्यकार कन्हैयालाल यादव, वरिष्ठ साहित्यकार डा0 राजाराम सिंह, सिचाई विभाग के अधीक्षक, शिब्ली पीजी कालेज के स्टाफ तथा छात्र/छात्राएं उपस्थित थें। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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