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विज्ञान कथाओं में ज्ञान के साथ ही मानवजाति का भविष्य भी झलकता है- डा.सीएम नौटियाल

कालेज प्रार्चाय डा.ग्यास असद खां ने जताया आभार 
आजमगढ़। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान में आचार्य केशव चन्द्र मिश्र विचार मंच द्वारा चार दिवसीय विज्ञान लेखन कार्यशाला के अन्तिम दिन शुक्रवा को सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी रचनायें जो कार्यशाला में तैयार की गयी वे मंच पर विशेषज्ञों के पस एकत्र की गयी। उनकी श्रेणी व श्रेणी की रचनाओं का मूल्याकंन किया गया। कुल श्रेष्ठ 17 रचनायें प्राप्त हुयी । डा. सीएम नौटियाल ने कहा कि विज्ञान कथाओं में ज्ञान तो होता ही है, मानवजाति का भविष्य भी झलकता है। उनको पढ़कर हम भविष्य के लिए तैयार होते है। अनेक उदाहरण है कि जो एक समय कल्पना था, बाद में सच साबित हुआ, आर्थर क्लार्क की उपग्रहों के उपयोग से संचार की कल्पना कई दशक बाद सच्चाई में बदल गया। डा. नौटियाल ने संस्था को बधाई दी एवं प्रतिभागियों को शुभकामनायें दी। डा. बाबर ने कहा की भविष्य में लेखन एवं साहित्य ही व्यक्तित्व निर्माण और समाज के लिए आवश्यक है। शिब्ली कालेज के प्राचार्य डा. ग्यास असद खॉ ने कहा कि यह अविस्मरणीय अनुभव रहा, हमें अन्दाजा नही था कि कार्यक्रम में इतनी संभावनाएं छिपी है। आगे भी ऐसे कार्यक्रमों की मेजबानी का मौका मिलता रहेगा तो बहुत अच्छा है । उन्होनें विशेषज्ञों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। प्रतियोगियों में शुभ्र त्रिपाठी, उज्मा शाहिन, फारेहा नाज, सचिन श्रीवास्तव, विनय कुमार, संदीप कुमार, वरूण वर्मा, रोशन आदि ने अपने-अपने अनुभव मंच से प्रस्तुत किये। इस अवसर पर डा. सीएम नौटियाल, डा. जी़शान बेग, चन्द्र प्रकाश पटसारिया व श्रीराम दत्त तिवारी अजेय ने अपने विचारों को व्यक्त किया। कार्यशाला में प्रमुख रूप से सचिन की (गोलो की वर्षा), सतीश (स्वर्ग लोग की यात्रा), शुभ्र , अंजली की पानी पर खेती, उज्मा शाहिन की साइंस में क्राइम, फारेहा नाज की एक कदम उजाले की तरफ आदि रचनायें उल्लेखनीय रही। डा. एम जेड बेग, डा. आमिर जमाल एवं ई0 सौरभ ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अन्त में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरीत किये गये व अनिल कुमार त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया।


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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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