आजमगढ़। सूर्योपासना का डाला छठ पर्व की तैयारियाँ शुरू हो गयी। नगर को तीन तरफ से घेरे तमसा नदी के विभिन्न घाटों पर सूर्योपासना के लिए वेदियाँ तैयार कर ली गयी है। नगरपालिका परिषद एवं अनेक सामजिक स्थानीय संगठनों के सहयोग से घाटों की साफ-सफाई के साथ छठ पूजा के लिए व्रतियों ने अपना स्थान नियत करा लिया है। नगर में गन्ना, अन्नास, शरीफा आदि पूजन में प्रयुक्त फलों बांस की बनी टोकरियाँ जिसे डाला भी कहा जाता है मिटटी के विशेष दीप सहित अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गयी हैं। लोग भारी संख्या में आवश्यकतानुसार सामानों की खरीददारी किया। सूर्योपासना का यह कठिन व्रत की शुरूआत तो शुक्रवार को ही नहाय खाय के शुरू हो गया। शनिवार को व्रतियों खास किया और रविवार की शाम नदी पर, सरोवर तट, पोखरा-पोखरी तटों पर बनायी गयी पूजन बेदियों पर परिवार के साथ कमर भी पानी में खड़ा होकर डूबते हुए सूर्य यानी प्रत्यूषा माता को अर्ध्य दिया जायेगा तथा सोमवार को सुबह पुन: अपनी बेदियों से उगतें सूर्य यानी ऊषा माता को अर्ध्य देकर व्रती अपने व्रत का पारन करते हुए प्रसाद ग्रहण करेंगे तथा अपने परिजनों में प्रसाद वितरण करने के बाद डाला छठ व्रत पर्व का समापन होगा। डूबते सूर्य प्रत्यूषा एवं उगते सूर्य ऊषा के अन्तराल में घाटों पर रोशनी की सजावट छठी माता की प्रतिमा के दर्शन पूजन के साथ भी कीर्तन का कार्य चलता रहता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्टमी को पड़ने वाला व्रत लोगों की स•ाी कामनाओं को पूर्ण करने वाला, रोग शोक दु:ख का हरण करते हुए सुख समृद्वि शान्ति प्रदान करने वाला होता है। महिलाएं अपने स्वास्थ्य के साथ साथ सन्तान प्राप्ति, पति एवं संतानों की रक्षा के साथ परिवार में मतैक्य धन धान्य आदि की कामना करती है। बताया जाता है कि ऊषा एवं प्रत्यूषा सूर्य देव की पत्नियाँ है और उन्हें छठ माता के स्वरूप में मान्यता है इनके पूजन के माध्यम से सूर्य की श्रद्धा भक्ति पूर्वक प्रकाश एवं ऊर्जा के देवता भगवान् सूर्य की उपासना की जाती है।
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