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ट्रेड यूनियनों के अह्वाहन पर हड़ताल का व्यापक असर दिखा, कामकाज रहा ठप्प , करोड़ों का लेनदेन प्रभावित


आजमगढ़: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अह्वाहन पर शुक्रवार को हुए एक दिवसीय हड़ताल का जिले में व्यापक असर दिखा। कर्मचारी, शिक्षक, बैंक, एलआईसी सहित तमाम संगठनों के लोगों ने जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। केवल बैंक बंद रहने से 25 करोड से अधिक का लेनदेन प्रभावित हुआ। विभिन्न विभागों में पहुंचे फरियादियों को बैरंग लौटना पड़ा। भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय में पूर्ण रूप से हड़ताल रही। कर्मचारी कार्यालय गेट पर श्रीराम सिंह की अध्यक्षता में प्रदर्शन किये। केंद्र सरकार पर भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से निजी क्षेत्र के हवाले करने की साजिश करने का आरोप लगाया। कहा कि केंद्र सरकार विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के निर्देशन पर विदेशी सीमा कम्पनियों को भारतीय बाजार में घुसने की खुली छूट दे रही है। बीमा क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई को बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया गया है जिसे आने वाले समय में सरकारों द्वारा बढ़ाकर 75 प्रतिशत फिर सौ प्रतिशत भी किया जा सकता है। भारतीय जीवन बीमा निगम सरकार की विकास एवं कल्याणकारी योजनों को सफल बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाती है फिर भी केंद्र सरकार निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे कर निगम के समक्ष अस्तित्व का संकट पैदा करने की साजिश रच रही है। मेहनतकश वर्ग को एकजुट होकर सरकार की उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरणवादी नीतियों का डटकर विरोध करना होगा। इस अवसर पर राम अवध राम, जेआर सोनकर, शिव प्रसाद यादव, पारसनाथ यादव, रामकृष्ण दूबे, जितेंद्र यादव, धर्मेंद्र कुमार, राज कुमार यादव आदि उपस्थित रहे। अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ ‘के बैनर तले तृतीय श्रेणी’ कर्मचारियों ने हड़ताल की। इस दौरान केन्द्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों की भत्र्सना की गयी एवं कर्मचारी एकता बनाये रखने का आह्वाहन किया गया। मण्डलीय अध्यक्ष आरपी यादव ने कहा कि सरकार को कर्मचरियों के हित के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जायेगा। हम सरकार की ईट से ईट बजा देंगे। बीएसएनएल इम्प्लाइज यूनियन द्वारा सी डाट पर विरोध प्रदर्शन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि महंगाई पर नियंत्रण के लिए फौरन कदम उठाए जायं। रोजगार सृजित करके बेरोजगारी पर काबू पाया जाय। श्रम कानूनों के उल्लंघन के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाय। मालिकों के हित में श्रम कानूनों में संशोधन न किया जाय। न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपया दिया जाय। सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों का विनिवेश, निजीकरण रोका जाय। ठेकेदारी बंद हो, ठेका मजदूरों को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाय। नौकरी पेशा आबादी के लिए तीन हजार प्रतिमाह न्यूनतम पेंशन दिया जाय। बोनस, प्राविडेंट फंड के भुगतान पर सीमाओं को हटाया जाय और ग्रेच्यूटी की राशि को बढ़ाया जाय। बीएसएनएल में न्यूनतम पीएलआई सात हजार रुपये का भुगतान किया जाय। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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