आजमगढ़ : नगर के निजी अस्पतालो की धनउगाही मरीजो पर भारी पड़ रही है। मरीजों के परिजनो को पैसे के अभाव में मृत लोगों के शव भी आसानी से नही मिल पा रहा हैं। पैसों के अभाव में शव के लिए परिजन दर-दर भटक रहे है। डाक्टरो की अवैध कमाई और धन के लोभ ने मानवता और इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है। बता दे कि शहर कोतवाली क्षेत्र के लक्षिरामपुर में स्थित निजी हास्पिटल प्रबन्धन ने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया। जब दुर्घटना में घायल हुए एक मरीज की कुछ ही समय बाद जान चली गयी और कुछ पैसे कम होने के कारण अस्पताल प्रशासन ने शव देने से इनकार कर दिया। परिजन शव को लेने के लिए रोते-बिलखते रहे लेकिन हास्पिटल के प्रबन्धन ने सौदेबाजी जारी रखी। बताया जाता है कि जहानागंज थाना क्षेत्र के सेमा गांव निवासी शिवचरन (28) पुत्र धीरज अपनी पत्नी दुर्गावती (25) और भतीजी गुड़िया (17) के साथ बाइक से गुरुवार की शाम निज़ामाबाद क्षेत्र में स्थित अपनी बुआ के घर जा रहा था कि तभी सिधारी थाना क्षेत्र के भदुली के पास एक ऑटो से इसके बाइक की टक्कर हो गयी और तीनो घायल हो गए। स्थानीय लोग इनको उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराये और परिजनों को सूचना दी। डक्टरों ने शिवचरन की हालत गंभीर देख उसे रेफर कर दिया। परिजन उसे वेदांता अस्पताल ले गए जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। मृतक शिवचरन के चाचा राजू का आरोप है जिला अस्पताल से देर रात हालत गंभीर होने पर उन्होने अपने भतीजे को उक्त हास्पिटल में भर्ती कराया। जहां कुछ ही समय बाद शिवचंद की मौत हो गयी। लेकिन हास्पिटल प्रबन्धन केवल रूपये को बढ़ाने के लिए जिन्दा होने की तसल्ली देता रहा और मिलने भी नही दिया गया। काफी जिद करने पर करीब 4 बजे जब वे अपने भतीजे के पास पहुंचे तो वह मृत पड़ा था। जिसके बाद हास्पिटल प्रबन्धन ने 15, 200 रूपये की मांग की। लेकिन मेरे पास इतने रूपये नही थे किसी तरह सुबह तक केवल 5 से 6 हजार रूपये ही इकठ्ठा हुए। लेकिन हास्पिटल प्रबन्धन एक रूपया कम करने को तैयार नही हो रहे था। दिन भरे चले ड्रामा के बाद परिजनों ने ग्रामीणों के चंदे से 11,000 रुपये की व्यवस्था की फिर भी मामला न बनता देख हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा देख अस्पताल प्रबंधन ने मामला सलटाने में भलाई समझी। गौरतलब है कि उक्त अस्पताल में आये दिन इस तरह की घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं।
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