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भारत रक्षा दल ने श्रद्धापूर्वक मनाया शहीद भगत सिंह का जन्म दिवस


आजमगढ़: 28 सितम्बर: सामाजिक संगठन भारत रक्षा दल के तत्वावधान में बुधवार को अमर शहीद भगत सिंह का जन्म दिवस सायंकाल रैदोपुर स्थित त्रिमूर्ति चैराहे पर श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर भगत सिंह के मूर्ति पर संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव ने भगत सिंह के कृतित्व पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि 1920 ई0 के महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर 1921ई0 में भगत सिंह ने स्कूल छोड़ दिया और देश को आजाद कराने के रास्ते पर निकल पड़े। 1926 ई0 में भगत सिंह ने ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन किया। यह सभा हिन्दुओं, मुसलमानों तथा अछूतों के छुआछूत, जात-पात, खान-पान आदि संकीर्ण विचारों को मिटाने के लिए संयुक्त भोजों का आयोजन करती थी, परन्तु मई 1930 ई0 को अंग्रेजों द्वारा इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। 17 नवम्बर 1928 ई0 को अंग्रेजों द्वारा बुरी तरह से लाठी चार्ज में पीटे जाने के कारण देश के प्रमुख क्रांतिकारी नेता लाला लाजपत राय के देहान्त ने भगत सिंह के खून को खौला दिया। वे बदला लेने के लिए तत्पर हो गये और उन्होनें अपने क्रान्तिकारी मित्रों के साथ मिलकर अंग्रेज अफसर साण्डर्स का वध कर दिया। इस घटना के कारण भगत सिंह देश के एक लोकप्रिय नेता बन गये। इसी क्रम में भगत सिंह द्वारा बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 8 अप्रैल 1929ई0 को असेम्बली में बम फेंका गया बम फेकने के बाद उन्होनें अपने आपको गिरफ्तार कराया। अदालत द्वारा इन्हें 24 मार्च 1931ई0 को प्रातः काल फांसी देने की सजा सुनाई गयी पर अंग्रेजों ने भय के मारे 23 मार्च 1931ई0 को सायंकाल ही भगत सिंह के साथ उनके क्रान्तिकारी साथी सुखदेव और राजगुरू को भी फांसी दे दिया। संगठन के जिलाध्यक्ष उमेश सिंह ‘गुड्डू’ ने अपने सम्बोधन में बताया कि भगत सिंह का जन्म 1907ई0 में पंजाब प्रांत के लायलपुर जिला स्थित बंगा गांव में हुआ था। इनके पिता सरदार किशन सिंह एवं इनके दो चाचा अजीत सिंह तथा स्वर्ण सिंह अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। यह एक विचित्र संयोग ही था कि जिस दिन भगत सिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा जेल को जेल से रिहा किया गया। यही सब देखते हुए भगत सिंह की दादी ने बच्चे का नाम भागा वाला (अच्छे भाग्य वाला) रखा बाद में उन्हे भगत सिंह कहा जाने लगा। एक देशभक्त परिवार में जन्म लेने के कारण भगत सिंह को देशभक्ति और स्वतंत्रता का पाठ विरासत में पढ़ने को मिल गया था।

इस अवसर पर संगठन के मण्डल अध्यक्ष मो0 अफजल, प्रवीण कुमार गौड़, रविप्रकाश श्रीवास्तव, निशीथ रंजन तिवारी, आशीष मिश्रा, रामजनम निषाद, केशव प्रसाद सोनू, विजय कुमार गौतम, रणजीत सिंह, गोपाल प्रसाद, मनीष कृष्ण साहिल, राजू पण्डित, दुर्गेश श्रीवास्तव, इन्द्र भूषण यादव, अश्विनी श्रीवास्तव, रजनीश श्रीवास्तव, ज्योति प्रकाश श्रीवास्तव आदि प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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