आजमगढ़: जिले के इटौरा में बने अत्याधुनिक नवनिर्मित जेल से भोजनालय में लगी गैस पाइप के सहारे 25 फीट ऊंची जेल की सुरक्षा दीवार लांघकर फरार हुए तीन बंदियों की तलाश में जुटी पुलिस की तीन टीमों के हाथ घटना के लगभग एक पखवारे के बाद भी कोई सफलता नहीं लगी है। बता दे कि बीते मई माह में लोकार्पित जिला कारागार में बनी 29 बैरकों में कुल 1112 बंदियों को रखा गया था। इन्हीं बंदियों में तरवां थाना क्षेत्र में बीते 25 मई 2014 की रात मंदिर में की गई लूटपाट के दौरान तीन लोगों की हत्या में आरोपित गाजीपुर जनपद के रहने वाले चंद्रशेखर मुसहर, जितेन्द्र मुसहर व प्रकाश मुसहर भी शामिल थे। तीनों को जेल के भोजनालय में बंदियों के भोजन व्यवस्था के लिए लगाया गया था। बीते 18 अगस्त की शाम उक्त तीनों बंदी भोजनालय में स्थापित की गई गैस पाइप लाइन को सिरे से उखाड़ा और दो पाइपों को जोड़कर 25 फिट ऊंची जेल सुरक्षा दीवार लांघकर फरार हो गए। इस घटना की जांच करने आए जेल डीआइजी गोरखपुर यादवेंद्र शुक्ल की संस्तुति पर जेलर आरके दोहरे व मुख्य बंदी रक्षक हरिकृष्ण सिंह व अंबिका यादव तथा बंदी रक्षक मनीष सिंह तथा वीरेन्द्र यादव को निलंबित कर दिया गया था । इस मामले में फरार बंदियों के खिलाफ सिधारी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। फरार बंदियों की तलाश के लिए जनपद के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों की निगरानी में तीन टीमें गठित की गई है। पुलिस टीमें बंदियों की तलाश में हर संभावित स्थान पर छापेमारी कर रही है लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ कोई सफलता नही लगी। नवागत जेलर आरके सिंह ने स्वीकार किया कि अति आधुनिक सुविधाओं से लैस इस नवनिर्मित जेल में स्टाफ की कमी व सुरक्षा चैकसी में हुई लापरवाही के कारण ही तीन शातिर अपराधियों के जेल से फरार हो जाने में सफलता मिल गई। उन्होंने बताया कि पूरे जेल की सुरक्षा के लिए 150 बंदी रक्षकों की आवश्यकता है। जबकि यहां कुल 73 पद स्वीकृत हैं तथा 53 बंदी रक्षकों पर पूरे जेल की सुरक्षा निर्भर है। बंदी रक्षकों के कमी की वजह से जेल के चारों दिशाओं में बने वाच टावरों पर अभी किसी की तैनाती नहीं हो सकी है। देखना है की यह तीनो फरार हत्यारे कब तक पुलिस को छकाते हैं।
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