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विभिन्न संस्थाओं ने साझा कार्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद पर की चर्चा


आज़मगढ़: 31 जुलाई 2016: प्रेमचन्द जयन्ती के मौके पर नगर के रैदोपुर स्थित राहुल चिल्ड्रेन एकेडमी में जनवादी लोकमंच, जनसंस्कृति मंच,प्रगतिशील लेखक संघ, इप्टा, एआईपीएसएफ, आज़मगढ़ फ़िल्म सोसायटी ने एक साझा कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में स्कूल के छात्र-छात्राओं ने प्रेमचंद के जीवन और लेखन पर भोजपुरी में गीत प्रस्तुत किया व उनके नाटक पंच परमेश्वर का भोजपुरी में ही मंचन किया। इसके बाद 'प्रेमचंदः हमारे जमाने में' विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई। परिचर्चा की शुरुआत सोनी पाण्डेय ने अपने आलेख से किया। इसके बाद उर्दू साहित्य के अध्येता जगदम्बा दूबे ने प्रेमचन्द के उर्दू-लेखन पर रौशनी डाली। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए शिब्ली अकादमी के सीनियर फेलो उमैर सिद्दीक ने प्रेमचन्द को आज के समय में और प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तानी समाज के जातीय और धार्मिक हकीकत को प्रेमचंद ने साहित्य में पूरी साफगोई से पेश किया। नगर में उपस्थित कहानीकार-नाटककार ऋषिकेष सुलभ ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारतीय समाज आज एक ही तरह की पीड़ा से गुजर रहा है ऐसे में अगर प्रेमचंद होते कैसे सोच रहे होते। जब महिलाओं के ऊपर, दलितों के ऊपर हमले बढ़े हैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं तब प्रेमचंद होते तो उनकी लेखनी और तीव्र होती। प्रेमचंद के तब के लेखन से यह बात पुख्ता रूप से कही जा सकती है। आज बहुत कठिन समय में हम हैं और प्रेमचंद हमें राह दिखाते और प्रासंगिक होते हैं। आज का यथार्थ बदला है लेकिन इसमें प्रेमचन्द के समय का यथार्थ भी रूप बदलकर है,उसे पहचानने की जरूरत है।जितना हम उसे पहचानेंगे प्रेमचंद उतने ही नये और जरूरी होते जाएंगे हमारे लिए।
 अध्यक्ष मण्डल के सदस्य डाॅ. बद्रीनाथ ने कहा कि अल्पसंख्यकों की उपस्थिति  कथा साहित्य में कम होती जा रही है। जबकि प्रेमचंद के यहां उनकी उपस्थिति खूब है। अध्यक्ष मण्डल से ही
कन्हैया यादव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, भारतीय समाज के लिए प्रेमचंद ज्यादा प्रासंगिक हैं। आज समाज की गति पीछे की तरफ है। प्रेमचंद का साहित्य आगे के लिए गति संघर्ष और बेचैनी पैदा करता है। परिचर्चा में प्रलेस के अध्यक्ष लालसा लाल तरंग ने भी अपनी बात रखी। इप्टा के संरक्षक रामनारायण, प्रग्या सिंह, आजाद ने भी परिचर्चा में भाग लिया और प्रेमचंद के साहित्य व विचार को आज के जमाने से जोड़ते हुए अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संयोजन/संचालन रविन्द्र नाथ राय और डाॅ.रमेश मौर्य ने किया। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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