
आजमगढ़: श्रीधर मालती सेवा संस्थान एवं सक्षम के संयुक्त तत्वावधान में एलवल में भारत माता के वीर सपूत महाराणा प्रताप के जयंती की पूर्व संध्या पर रविवार को गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें समकालीन राष्ट्रवाद व जाति के दायरे में राष्ट्रीय नायक विषय पर चर्चा की गयी। संयोजक डा. जेपी पांडेय ने सिसोदिया कुलभूषण महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराणा ने अपना सर्वस्व स्वंत्रता की बलिवेदी पर अर्पण कर दिया। स्वतंत्र रहने की इतनी उत्कृष्ट ईच्छा का उदाहरण अन्यत्र दुलर्भ है। सक्षम सेवक गोपाल कृष्ण ने कहा कि महलों का निवासी, पर्यक पर रात्रि विश्राम करने वाला, चांदी के पात्रों में भोजन करने वाला महाराणा प्रताप सिंह वनों व जंगलों में बिना बिस्तर के सपरिवार घास की रोटी खाकर एवं झरने का पानी पीकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा किया। आज समाज में समकालीन नायकत्व के अभाव के कारण पहचान का संकट खड़ा हो गया है। इस संकट से उबरने के लिए विभिन्न जातियां इतिहास के पन्नों से अपनी-अपनी जाति के नायकों को ढूंढकर अपनी पहचान को स्थापित करने के लिए उन्हें अपनी जाति के खांचे में ढालने की कोशिश करती रही हैं। ऐसा करते समय नायकों का सीमांकन व अवमूल्यन हो जाता है। अन्यथा जिस महाराणा को धन भामाशाह ने उपलब्ध कराया, सिपाही कोल, भील एवं किरात बने, स्वतंत्रता सबको मिली। गोष्ठी का संचालन कर रहे अरविंद सिंह ने सर्वसमाज को सचेत किया कि आज के छद्म राष्ट्रवाद से बचा जाए और बलिदान की प्रतिमूर्ति बताया जाय। वहीं हल्दीघाटी आज बच्चों के पाठ्यक्रम से गायब है। गोष्ठी में नृपेन्द्र बहादुर, राणा सिंह, विनोद कुमार, रितू सिंह, संतोष, डॉ. अभय प्रताप आदि ने विचार प्रकट किया।
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