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आखिर पुरानी जेल से मिल ही गयी बेल , शिफ्ट हुए बंदी


आजमगढ़. : आधुनिक सुविधाओं से लैस  इटौरा में नव निर्मित जेल में रविवार की अल सुबह बंदियों को शिफ्ट करने की कवायद शुरू हुई और दोपहर से पहले पूरी कर ली गयी। इस काम को प्रशासन द्वारा पूरी तरह गोपनीय रखा गया। अभिलेख, खाद्यान आदि शनिवार को ही पुरानी जेल से नई जेल में भेज दिया गया था । बंदियों के नई जेल में शिफ्ट होने के बाद जेल के भीतर से संचालित होने वाले संगठित अपराध पर लगाम लगने की उम्मीद है। कारण कि नई जेल में मोबाइल आदि छिपा कर रखना इतना आसान नहीं होगा। बता दें कि शहर के नगरपालिका के पास अंग्रेजों के समय बने की जेल की हालत काफी जर्जर हो गयी थी। इस जेल के क्षमता भी साढे तीन सौ के आसपास थी जबकि यहां हमेंशा आठ सौ से एक हजार कैदी होते थे। इससे बंदियों के साथ ही जेल प्रशासन को भी भारी फजीहत झेलनी पड़ती थी। वहीं दीवार आदि जर्जर होने के बाद बंदियों को मोबाइल आदि छिपाकर रखने में भी मदद मिलती थी। जेल से कई बार फिरौती मांगने का मामला भी प्रकाश में आ चुका है। वर्तमान में यहां 1090 बंदी बंद थे। समस्या के समाधान के लिए इटौरा में नये जिला कारागार का निर्माण कराया गया। 41.246 एकड़ क्षेत्रफल में बना यह कारागार अत्यआधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसके निर्माण में 115. 96 लाख रूयपे खर्च हुए है। यहां आठ बैरक 120 बंदी क्षमता तथा 2 बैरक  60 बंदी क्षमता के बनाये गये है। सभी हाई सिक्योरिटी बैरक है। पांच मई को जिलाधिकारी सुहास एलवाई व पुलिस अधीक्षक दयानंद मिश्र नये जेल के निरीक्षण के दौरान जल्द ही यहां बंदियों को शिफ्ट करने की बात कही थी। इसके बाद शनिवार को ही इसकी कवायद शुरू कर दी गयी थी। पहले यहां से अभिलेख और राशन सामाग्री नयी जेल में भेजा गया। इसके बाद रविवार को अल सुबह बंदियों को शिफ्ट करने की कवायद शुरू हुई। 1090 बंदियों में से सबसे पहले महिला कैदियों को नई जेल में भेजा गया । दोपहर तक सभी  कैदी नै जेल में शिफ्ट हो गए।   
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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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