आजमगढ़ : मजदूर दिवस पर रविवार को जिले में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया। लोगों ने जुलूस निकाला । जहां शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि दी वहीं जगह जगह गोष्ठी का आयोजन कर मजदूर दिवस पर चर्चा की गयी। इस दौरान सरकार पर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी सुधार का आरोप लगाया गया। मजदूर दिवस यादगार समिति के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मुरली टाकीज मुकेरीगंज से मार्च निकाला गया। जुलूस में शामिल लोग स्लोगन लिखी तख्तियां हाथ में लिए चल रहे थे। इस दौरान मजदूर दिवस जिंदाबाद शिकांगो के शहीदों को लाल सलाम, मजदूर किसान विरोधी नीतियों को वापस लो आदि नारे लगाये गए। जुलूस रिक्शा स्टैंड पर गोष्ठी मे तब्दील हो गया। वक्ताओं ने कहा कि आठ घंटे के काम का निर्धारण सबसे पहले अमेरिका के शिकांगो शहर में मजदूरों द्वारा मांग के रूप में सामने आया। इसका असर न्यूयार्क, वाल्टीमोर वाशिंगटन, पीट्सवर्ग सहित अनेक शहरों के साथ दुनिया के तमाम देशों में फैलता गया। अमेरिका की नेशनल लेव यूनियन द्वारा अगस्त 1886 में आठ घंटे काम, आठ घंटे विश्राम और आठ घंटे मनोरंजन का नारा दुनिया के सभी मजदूर यूनियनों का नारा बन गया। पहली मई 1886 से इस नारे को लागू कराने का आंदोलन पूंजीपति वर्ग को आक्रामक बना दिया। तीन मई को शिकांगो में मजदूरों की सभा पर पूंजीपति वर्ग ने हमला करवा दिया। इस आंदोलन को दबाने के लिए मजदूर नेताओं को आजीवन कारावास हुआ। बावजूद इसके आंदोलन आगे बढ़ता गया और अमेरिका की सरकार को झुकना पड़ा। आठ घंटे के काम का निर्धारण का संघर्ष अमेरिका सहित पूरी दुनिया में लागू हुआ। आज मजदूरों के अधिकारों में लगातार हो रही कटौती और श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी सुधार ने मजदूर दिवस मनाने की प्रासंगिकता को बढ़ा दिया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता बैजनाथ व संचालन डा. रवीन्द्रनाथ राय ने किया। इसी क्रम में कर्मचारी संगठनों द्वारा नेहरूहाल में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान मजदूर नेताओं को सम्मानित किया गया।
मजदूर दिवस पर जिले में विविध कार्यक्रमों का आयोजन
आजमगढ़ : मजदूर दिवस पर रविवार को जिले में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया। लोगों ने जुलूस निकाला । जहां शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि दी वहीं जगह जगह गोष्ठी का आयोजन कर मजदूर दिवस पर चर्चा की गयी। इस दौरान सरकार पर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी सुधार का आरोप लगाया गया। मजदूर दिवस यादगार समिति के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मुरली टाकीज मुकेरीगंज से मार्च निकाला गया। जुलूस में शामिल लोग स्लोगन लिखी तख्तियां हाथ में लिए चल रहे थे। इस दौरान मजदूर दिवस जिंदाबाद शिकांगो के शहीदों को लाल सलाम, मजदूर किसान विरोधी नीतियों को वापस लो आदि नारे लगाये गए। जुलूस रिक्शा स्टैंड पर गोष्ठी मे तब्दील हो गया। वक्ताओं ने कहा कि आठ घंटे के काम का निर्धारण सबसे पहले अमेरिका के शिकांगो शहर में मजदूरों द्वारा मांग के रूप में सामने आया। इसका असर न्यूयार्क, वाल्टीमोर वाशिंगटन, पीट्सवर्ग सहित अनेक शहरों के साथ दुनिया के तमाम देशों में फैलता गया। अमेरिका की नेशनल लेव यूनियन द्वारा अगस्त 1886 में आठ घंटे काम, आठ घंटे विश्राम और आठ घंटे मनोरंजन का नारा दुनिया के सभी मजदूर यूनियनों का नारा बन गया। पहली मई 1886 से इस नारे को लागू कराने का आंदोलन पूंजीपति वर्ग को आक्रामक बना दिया। तीन मई को शिकांगो में मजदूरों की सभा पर पूंजीपति वर्ग ने हमला करवा दिया। इस आंदोलन को दबाने के लिए मजदूर नेताओं को आजीवन कारावास हुआ। बावजूद इसके आंदोलन आगे बढ़ता गया और अमेरिका की सरकार को झुकना पड़ा। आठ घंटे के काम का निर्धारण का संघर्ष अमेरिका सहित पूरी दुनिया में लागू हुआ। आज मजदूरों के अधिकारों में लगातार हो रही कटौती और श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी सुधार ने मजदूर दिवस मनाने की प्रासंगिकता को बढ़ा दिया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता बैजनाथ व संचालन डा. रवीन्द्रनाथ राय ने किया। इसी क्रम में कर्मचारी संगठनों द्वारा नेहरूहाल में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान मजदूर नेताओं को सम्मानित किया गया।
Blogger Comment
Facebook Comment