आजमगढ़ : बैसाखी का पर्व बुधवार को जनपद में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारों में विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। संगतों द्वारा शबद कीर्तन किया गया। सैकड़ों लोगों ने कड़ाह प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान पूर क्षेत्र गुरु जी की खालसा, गुरु जी की फतह से गूंज उठा। शहर के मातवरगंज स्थित श्री सुन्दर गुरुद्वारा, विट्ठलघाट स्थित प्राचीन गुरुद्वारा व निजामाबाद स्थित चरण पादुका साहिब गुरुद्वारा में बैसाखी पर्व पर सिख समुदाय द्वारा विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। कार्यक्रम को लेकर लोगों में भारी उत्साह दिखा। सर्वप्रथम गुरुग्रन्थ साहब का पाठ किया गया। इसके बाद संगतों द्वारा शबद कीर्तन किया गया। ज्ञानी लोगों को गुरुवाणी का उपदेश दिया और उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प दिया। मातवरगंज गुरुद्वारे के ज्ञानी सुनील सिंह ने बताया कि बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है। जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है। उन्होंने बताया कि जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब यह पर्व मनाया जाता है। बैसाखी पर्व को खेती का पर्व भी कहा जाता है। पंजाब में जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी बैसाखी पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है।
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