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जौनपुर: परीक्षा का मूल्यांकन पारदर्शी होगा: कुलाधिपति

जौनपुर। कुलाधिपति एवं राज्यपाल राम नाइक ने कहा है कि कुलपतियों का कार्यकाल तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष किया जायेगा और उच्च शिक्षा के सुधार के निमित्त लिये गये निर्णय के अनुपालन में शैक्षिक सत्र 2014-15 की परीक्षायें एवं उनके परिणाम समय से घोषित किये जाय। प्रवेश प्रक्रिया, छात्रवृत्ति आवेदन, पंजीकरण, परीक्षा का मूल्यांकन पारदर्शी किया जायेगा। विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोह में पूर्व से चल रहे ड्रेस कोड में परिवर्तन कर भारतीय परंपरागत वेष भूषा को अपनाया जायेगा। इस क्रम में 10 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह सफलतापूव्रक सम्पादित किये जा चुके है। उक्त विचार कुलापति ने वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्व विद्यालय में शनिवार को प्रदेश के 25 कुलपतियों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद/भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,आल इण्डिया कौसिल फार टेक्निकल एजूकेशन आदि विश्वविद्यालयों का मूल्यांकल कराने की प्रक्रिया सभी ने प्रारंभ किया है। जैसे दीन दयाल विश्वविद्यालय गोरखपुर, डाक्टर भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा, चै0 चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, रूहेल खण्ड विश्व विद्यालय बरेली, पूर्वान्चल विश्वविद्यालय जौनपुर द्वारा नैक से द्वितीय चक्र की कार्यवाही प्रचलन में है। शेष विश्व विद्यालयों से भी अपेक्षा की जाती है। कुलाधिपति ने कहा कि समय समय पर समस्त विश्वविद्यालयों की पारदर्शिता के लिए सुझााव दिये जाते है। स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों में शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में शासनादेश 15 जुलाई 2015 को जारी किया गया है। उन्होने विद्यालयों को निदेर्शित किया कि सप्ताह में एक दिवस समस्याओं के निराकरण के लिए रखे। कतिपय विश्वविद्यालयों द्वारा अध्यादेश एवं अनुमोदन के प्रवेश लिया गया है। इससे परीक्षा से वंचित होने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। परिनियमों में व्यवस्था तथा आवश्यक अध्यादेश पारित होने के बाद शुरू किये जायेगें ।
विश्वविद्यालयों में रिक्त पड़े शिक्षकों को भरने के लिए आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की जाती है। विश्वविद्यालय में गठित कार्यपरिषद के सदस्यों द्वारा यंह संज्ञान में लेना आवश्यक है कि बैठकों के निर्णयों का अंकन निर्णय के अनुरूप कार्यवृत्त में किया जाना एवं रिकार्डिग कराया जाना सुनिश्चित किया जाय। श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की श्रेणी में आने के लिए आवश्यक है कि शोध की दिशा एवं दशा सुधारने हेतु समग्र रूप से प्रभावी कदम उठाना सुनिश्चित किया जाय।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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